
ब्रह्माकुमारीज़ शिव अनुराग भवन में मनाया गया विश्व ध्यान दिवस
सामूहिक योगाभ्यास में राजयोग मेडिटेशन से आत्म-परिवर्तन और विश्व शांति का हुआ आह्वान*
बिलासपुर:
संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित 21 दिसंबर ‘अंतरराष्ट्रीय ध्यान दिवस’ के अवसर पर ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान द्वारा बिलासपुर सहित विभिन्न केन्द्रों पर विशेष ध्यान एवं जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। विश्व ध्यान दिवस की मुख्य थीम ‘एकता और विश्वास’* रही, जिसके अंतर्गत विश्व स्तर पर शांति, सद्भाव और मानवीय मूल्यों की स्थापना का संदेश दिया गया।
ध्यान: व्यक्तिगत शांति से वैश्विक सद्भाव तक
ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने बताया कि जिस प्रकार 21 जून-योग दिवस को वैश्विक पहचान मिली है, उसी क्रम में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित किया जाना ध्यान की बढ़ती आवश्यकता और उपयोगिता को दर्शाता है। ध्यान न केवल व्यक्ति के मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करता है, बल्कि समाज और विश्व में शांति की स्थापना का भी प्रभावी माध्यम है।

राजयोग मेडिटेशन: आत्म-परिचय से परम-शांति की अनुभूति
राजयोग मेडिटेशन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि यह स्वयं की आत्मिक पहचान और परमात्मा से संबंध स्थापित करने की सरल एवं प्रभावशाली विधि है। ध्यान को एक ‘छैनी’ के समान बताते हुए दीदी ने कहा कि जैसे शिल्पकार पत्थर को तराशकर सुंदर मूर्ति बनाता है, वैसे ही ध्यान व्यक्ति के कठोर संस्कारों को परिवर्तित कर उसे श्रेष्ठ, सशक्त और मूल्यवान व्यक्तित्व में ढाल देता है। इससे आत्मा के मूल गुण—सत्यता, पवित्रता, शांति, प्रेम और करुणा—जागृत होते हैं।
तनावमुक्त जीवन और स्वास्थ्य का सशक्त आधार
दीदी ने वर्तमान भागदौड़ भरी जीवनशैली में ध्यान को मानसिक शांति और स्वस्थ जीवन का आधार बताया। नियमित ध्यान अभ्यास से तनाव, भय, चिंता और अवसाद में कमी आती है, साथ ही यह हृदय गति एवं रक्तचाप को संतुलित करने में सहायक सिद्ध होता है।
दीदी ने बतलाया कि ध्यान से मनोबल बढ़ता है, निर्णय क्षमता विकसित होती है और जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण का निर्माण होता है।
एकता और विश्वास: संगठन की सफलता की कुंजी
‘एकता और विश्वास’ के महत्व पर बल देते हुए कहा कि यदि किसी संगठन में आपसी विश्वास और सहयोग की भावना हो, तो बड़े से बड़े लक्ष्य भी सहजता से प्राप्त किए जा सकते हैं। पिताश्री ब्रह्मा बाबा के जीवन उदाहरण का उल्लेख करते हुए दीदी ने बताया कि पिताश्री ने विरोध और अपमान का उत्तर भी स्नेह और शुभभावना से दिया, जो आज के समय में मानवता के लिए प्रेरणास्रोत है।
कार्यक्रम की शुरुआत में सभी ने विश्व एकता एवं शांति के लिए सामूहिक योग अभ्यास किया। जिसमें मंजू दीदी ने मेडिटेशन कॉमेंट्री दी व ब्र.कु. रूपा, गायत्री, ईश्वरी व रजनी बहन ने योग के प्रकम्पन्न फैलाये।