हजारों कन्याओँ माताओं का सशक्तिकरण किया ओमप्रकाश भाई जी ने – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

छत्तीसगढ़ व इंदौर ज़ोन के निदेशक रहे आदरणीय ओम प्रकाश भाई जी की दसवीं पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि: पवित्रता और सेवा का अद्भुत संगम

बिलासपुर/टिकरापारा: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के टिकरापारा सेवाकेंद्र में 25 दिसंबर को इंदौर ज़ोन के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक आदरणीय ओम प्रकाश भाई जी की पुण्यतिथि (स्मृति दिवस) अत्यंत गरिमा और श्रद्धा के साथ मनाई गई। इस अवसर पर भाई जी के व्यक्तित्व, उनकी शिक्षाओं और संस्था के प्रति उनके महान त्याग को याद करते हुए उन्हें ‘प्रेमांजलि’ अर्पित की गई।

पवित्रता और अनुशासन के प्रकाश स्तंभ:
श्रद्धांजलि सभा में ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने बताया कि आदरणीय ओम प्रकाश भाई जी पवित्रता और अनुशासन की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। वे शिक्षा के क्षेत्र में गोल्ड मेडलिस्ट इंजीनियर थे, लेकिन जानकी दादी जी से ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त करने के बाद उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया। स्वयं भगवान (शिव बाबा) ने भी उन्हें ‘पवि‍त्रता में नंबर वन’ आत्मा का वरदान दिया था। भाई जी का जीवन ज्ञान, योग, धारणा और सेवा—इन चारों विषयों में संपूर्णता का एक आदर्श उदाहरण रहा है।

हजारों कन्याओं और माताओं के रक्षक:
भाई जी ने इंदौर और छत्तीसगढ़ ज़ोन की सेवाओं को विस्तार देने में अपनी ऐतिहासिक भूमिका निभाई। उन्होंने हजारों अबलाओं को ‘शिव शक्ति’ बनाकर समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाया। वे न केवल एक कुशल प्रशासक थे, बल्कि अत्यंत सरल हृदय और सेवाभावी भी थे। वे छोटी-से-छोटी सेवाओं जैसे सब्जी काटने व पकाने के तरीके से लेकर अतिथियों के राजसी सत्कार तक की कला स्वयं सिखाते थे। उनका मानना था कि सेवा में आत्मिक पवित्रता और बड़ों के प्रति आज्ञाकारिता सर्वोपरि होनी चाहिए।

विशेष आध्यात्मिक संदेश और संकल्प:
पुण्यतिथि के इस अवसर पर ‘ज्वालामुखी तपस्या’ का आह्वान किया गया, ताकि आत्मा के भीतर छिपे ‘मैं-पन’ के अहंकार को पूरी तरह समाप्त किया जा सके। सत्संग में भाई जी की शिक्षाओं को दोहराते हुए तीन प्रकार के खातों – श्रेष्ठ प्रालब्ध, संतुष्टता द्वारा दुआओं और निस्वार्थ सेवा द्वारा पुण्य का खाता जमा करने पर बल दिया।

दीदी ने सभा में भाई जी के निमित्त परमात्मा को विशेष भोग स्वीकार कराया और सभी ने सामूहिक योग द्वारा पूरे बिलासपुर में शांति के प्रकंपन फैलाए ।
भाई जी की स्मृति में ‘एकता और विश्वास’ का वरदान दोहराया गया, जिसे बिलासपुर की उन्नति का आधार बताया गया ।


दीदी ने भाई जी द्वारा सिखाई गई मीडिया सेवाओं और उनकी बोलने की कला का भी विशेष उल्लेख किया, जिसने कई समर्पित भाई-बहनों के जीवन को तराशा है।

आदरणीय ओम प्रकाश भाई जी का जीवन उस ध्रुव तारे के समान है, जो आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले हर पथिक को अंधकार में न केवल सही दिशा दिखाता है, बल्कि अपनी अडिग चमक से लक्ष्य तक पहुँचने का संबल भी प्रदान करता है।