चकरभाटा (बिलासपुर) : श्री झूलेलाल मंदिर झूलेलाल नगर में चंद्र महोत्सव चंद्र बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया कार्यक्रम की शुरुआत रात्रि 8:00 बजे भगवान झूलेलाल वह बाबा गुरुमुख दास जी के फोटो पर पुष्प अर्पण कर वह बहराणा साहब की अखंड ज्योत प्रज्वलित करके की गई रवि रूपवानी व अनील पंजवानी के द्वारा भक्ति भरे शानदार भजनों की प्रस्तुति दी गई जिसे सुनकर उपस्थित भक्तजन भाव विभोर हो गए संत लाल साई जी के द्वारा अपनी अमृतवाणी में भक्तों को सत्संग का रसपान कराया उन्होंने फरमाया कि भगवान झूलेलाल व भगवान परशुराम भगवान विष्णु के अवतार हैं। अक्षय तृतीया का क्या महत्व है साई जी ने विस्तार से बताया भगवान परशुराम को परशुराम क्यों कहा जाता है उनका यह नाम कैसे पड़ा बताया और किस तरह एक राजा ने एक पंडित से गलत वयवहार किया, जिसके कारण भगवान परशुराम ने पृथ्वी से समस्त क्षत्रिय को खत्म करने का बीड़ा उठाया उन्हें खत्म करके उनकी सारी जमीन ज्यादाद ब्राह्मणों में वितरण कर दी उनका गुस्सा बहुत तेज था। त्रेता युग में भगवान रामचंद्र जी जनकपुर पहुंचे थे वहां पर माता सीता का स्वयंवर रचाया जा रहा था और शर्त यह थी जो भी इस धनुष को उठा कर तोड देगा उसे माता सीता वर माला पहना कर अपना पति परमेश्वर बनाएगी। वीर राजा महाराजा पहुंचे थे पर किसी की हिम्मत नहीं हुई धनुष उठा सके क्योंकि वह धनुष भगवान शिव का था। निराश होकर माता सीता के पिता ने कहा क्या ऐसा कोई नहीं है यहां पर जो इस धनुष को उठा सके वह मेरी पुत्री से विवाह कर सके। अपने गुरु की आज्ञा पर भगवान रामचंद्र जी ने धनुष को उठाया जिससे तीनो लोक में हाहाकार मच गया और परशुराम तपस्या कर रहे थे, तब उनकी तपस्या भंग हो गई और तुरंत जनकपुर पहुंचे भगवान रामचंद्र जी से कहने लगे तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस धनुष बाण को उठाने व तोड़ने की, जब उन्हें पता चला वह खुद भगवान विष्णु के अवतार हैं उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और अपने गुस्से को शांत किया अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान परशुराम का अवतरण दिवस भी मनाया जाता है। उनका जन्म हुआ था और इस दिन का बहुत महत्व है एक तो भगवान परशुराम का अवतरण दिवस है।
और साथ-साथ इस दिन दान पुण्य के काम भी कार्य भी बहुत होते हैं इस दिन बहुत सारे विवाह होते हैं लोग अपनी कन्या को दान करते हैं कई लोग इस जल दान करने का बहुत बड़ा महत्व है हमारे जो बड़े बुजुर्ग है वह फल वह मटकी में पानी भरकर मंदिरों में गुरुद्वारों में वह अपनी बेटी के घर में वह ब्राह्मण के घर में या कोई कुंवारी कन्या के घर में जाकर देकर आते थे आज का दिन दान पुण्य का करने का बहुत महत्वपूर्ण दिन है वैसे तो 365 दिन ही दान करना चाहिए और कुछ दिन ऐसे होते हैं जिनका महत्व अलग होता है वह विशेष दिन होते हैं जिसमें आज का दिन है लोग भी कुछ ना कुछ दान पुण्य जरूर करें अपनी क्षमता के अनुसार करें आज का चंद्र दिवस बहुत ही खास है क्योंकि शुक्रवार भी है और चंद्र दिवस के दिन भगवान झुलेलाल ” का अवतरण हुआ था और गर्मी का महीना है लोगों को जल पिलाना चाहिए जगह-जगह प्याऊ खोलना चाहिए कोई भी घर या दुकान में इंसान आए उसे बगैर जल के पिलाए वापस ना भेजें प्यासे को पानी पिलाना बहुत बड़ा पुण्य का काम है और हम तो भगवान झूलेलाल के वंशज हैं जो खुद जल के अवतार हैं साईं जी ने सिंध के जिंद पीर की एक कथा सुनाई भगवान झूलेलाल लीला समाप्त करके चले गए थे जिनके पास सिंधु नदी है नदी में एक व्यापारी नाव में भरा सामान इस पर ले जाता था एक बार भंवर में नाव फस गई और वह भगवान झुलेलाल को याद करने लगा बेसिक पार लगाएं झूलन तब भगवान झूलेलाल सिंधु नदी के अंदर से निकले उनका ऐसा रूप देखकर सब हैरान हो गए सोने की मछली पर भगवान झूलेलाल सवार थे और व उनका रूप बाल रुप का नहीं था विदृ रुप का था सुंदर कपड़े पहने हुए थे चेहरे पर आकर्षण व तेज था।
नाव जब बीच मझधार में फसी हुई थी धूब रहती वो किनारे पहुंच गई सब लोग सोच में पड़ गए जो भगवान झूलेलाल अंतर्ध्यान हो गए तो आज कैसे आ गए और इस रुप में तब लोगों को एक बात याद आ गई भगवान झूलेलाल ने कहा था कि मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं जल और ज्योति के रूप में रहूंगा जब भी तुम्हें तकलीफ परेशानी हो तो तुम याद करोगे तो मैं तुम्हारे पास आ जाऊंगा साई जी के द्वारा भी कई भक्ति भरे भजन गाए गए जिसे सुनकर उपस्थित भक्तजन झूम उठे कार्यक्रम के आखिर में आरती की गई विश्व कल्याण के लिए पल्लो पाया गया प्रसाद वितरण किया गया प्रभु का प्रसाद आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्तजनों ने भंडारा ग्रहण किया आज के इस आयोजन में शामिल होने के लिए भक्तजन अलग-अलग शहरों से पहुंचे थे इस कार्यक्रम को सफल बनाने में बाबा गुरमुखदास सेवा समिति श्री झूलेलाल महिला सखी सेवा ग्रुप के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा।