बिलासपुर : श्री झूलेलाल मंदिर झूलेलाल नगर चकरभाटा के संत लाल साई जी का सत्संग का आयोजन सिंधु भवन तोरवा बिलासपुर में किया गया संध्या 7:00 बजे साईं जी का आगमन हुआ भक्तों के द्वारा आतिशबाजी कर फूलों की वर्षा के साथ साईं जी का भवय स्वागत किया गया। सत्संग की शुरुआत भगवान झूलेलाल की मूर्ति पर फूलों की माला पहनाकर व बहराणा साहब की अखंड ज्योत प्रज्ज्वलित करके की गई इस अवसर पर रवि रुपवानी के द्वारा कई भक्ति भरे भजन गाए जीसे सुनकर उपस्थित भक्तजन भाव विभोर हो गए। सत्संग मैं साई जी ने अपनी अमृतवाणी में फरमाया कि आज के इस समय में हर कोई दुखी है चाहे वो पैसे वाला हो चाहे गरीब हो चाहे मध्यमवर्गीय हो कोई तन से दुखी है कोई मन से दुखी है सब दुखी है। राजा से पूछो तो कहेगा महाराजा सुखी है महाराजा से पूछो तो कहेगा सम्राट सुखी है सम्राट से पूछो तो कहेगा इंद्रदेव सुखी है इंद्रदेव से पूछो तो कहेगा मैं भी दुखी हूं तो आखिर सुखी कौन है सुखी अगर कोई है तो वह है भगवान राम का दास जो भगवान का नाम जपता है सिमरन करता है भक्ति करता है वही व्यक्ति आज इस दुनिया में सुखी है बाकी सब लोग मोह माया में देखा देखी मैं दुखी हैं संतोष किसी को नहीं है कोई सो रुपए कमाता है, जो सोचता है कि मैं कल 500 कमाऊ कोई 5000 कमाता है तो सोचता है कि मैं 20000 कमाऊं, धन की लालसा बढ़ते जाती है पर प्यास नहीं बुझती आज बड़े से बड़े उद्योगपति भी सिर्फ और ज्यादा पैसा कमाने में लगे हैं।
पूछो उनसे क्या वह सुखी हैं वह भी कहेंगे नहीं कुछ न कुछ रोग जरूर लगा है। कुछ न कुछ परेशानी जरूर है कुछ न कुछ दुख जरूर है ना टाइम से खाना खाते हैं न टाइम से सो पाते हैं न टाइम से भगवान का नाम सिमरन कर पाते हैं इस भागमभाग जिंदगी में देखा देखी ना करें जो है उसमें ही खुश रहने की कोशिश करें, नहीं तो जो तुम चाहते हो वह तुम्हें मिल जाएगा, पर खुशी तुम्हारे घर से दूर चली जाएगी। पैसा आ जाएगा गाड़ी बंगला बैलेंस सब आ जाएगा पर सुख आपको नहीं मिल पाएगा। मन एक ऐसा है जो किसी को जल्दी से सुखी होने देता नहीं है मन को कंट्रोल करोगे और भक्ति में लगाओगे तभी आपको सुख की आनंद की प्राप्ति होगी। आजकल समाज में एक समस्या बहुत गंभीर हो गई है हमारे कुछ युवा पीढ़ी के लोग गलत राह पर चले गए हैं व समाज कि बेटियां हैं शादी के बाद ससुराल जाती हैं पर बहुत जल्द तलाक की नौबत आ जाती है बहुत सारे किस्से आजकल ऐसे सामने आ रहे हैं जो चिंता का विषय है ऐसा क्यों हो रहा है इसके ऊपर घर चिंतन करना जरूरी है हर कोई खोजें इसका कारण आपको ही खोजना है जहां तक हमें समझ में आता है वह है फोन मोबाइल लड़की मयके से शादी करके ससुराल पहुंचती है दूसरे दिन से ही फोन में लग जाती है क्या खाया, क्या पिया, क्या कर रही हूं, जाने क्या दिन भर घर की चर्चा बातें चलती रहती हैं। दिन भर मायके वालों को बताना हम यह नहीं कहते हैं कि हर बार दोष लड़की का है। सिक्के के दो पहलू हैं दोनों में से कोई भी हो सकता है दोनों भी हो सकते हैं सोचना दोनों को है कि आपका सुखी जीवन कैसे हो सात जन्मों का बंधन है कम से कम इस जन्म में तो साथ निभा लो, बाकी के जन्म की तो बात की बात है याद करो क्या आपके पिता आपके मां का विवाह हुआ था। 50 साल बाद भी साथ रहते हैं सुखी रहते हैं।
आप चंद दिनों में दुखी हो जाते हो ऐसा क्यों बेटियों के ऊपर ज्यादा जिम्मेदारी रहती है बेटी दो कूलों को पार लगाती है। मायके को ससुराल को ससुराल पक्ष बहु को बेटी समझेंगे बेटी अपने ससुराल वालों को अपना परिवार समझेगी तभी तलाक की नौबत नहीं आएगी और सभी सुखी जीवन व्यतीत करेंगे और आजकल लोग मोबाइल में इतने व्यस्त हो गए हैं कि अपने त्यौहार अपनी संस्कृति को अपने संतो को ही भुलते जा रहे हैं। कुछ समय निकालो अपने सिंधी भजन सुनो सिंधी गीत सुनो सत्संग कीर्तन में जाओ और जो संत सत्संग करते हैं उसको सुनने के साथ-साथ ग्रहण भी करना है उसको अपने जीवन में अमल भी लाना है, तभी हमारा जीवन सफल होगा। साई जी के द्वारा कई भक्ति भरे भजन गाए गये, जिसे सुनकर भक्तजन झूम उठे। कार्यक्रम का आखिर में आरती की गई पल्लव पाया गया। प्रसाद वितरण किया गया। आए हुए सभी लोगों के लिए प्रभु का प्रसाद भोजन की व्यस्तथा की गई। बड़ी संख्या में लोगों ने भोजन ग्रहण किया इस पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में बाबा गुरमुखदास सेवा समिति वाधवानी परिवार के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा।