धन गुरु नानक दरबार डेरा संत बाबा थाहीरिया सिंह दरबार में भाई साहब मेहरबान सिंह साहिब जी की मासिक वर्सी उत्सव मनाया गया।

बिलासपुर : जरहाभाटा स्थित धन गुरु नानक दरबार डेरा संत बाबा थाहीरिया सिंह दरबार में भाई साहब मेहरबान सिंह साहिब जी की मासिक वसी उत्सव के उपलक्ष में सुबह 11:00 से 12:00 बजे तक श्री सुखमणि साहिब जी का पाठ साथ संगत के द्वारा किया गया। दोपहर 12:00 से 1:00 तक पांच प्यारों को लंगर प्रसाद अर्पण किया गया। महान कीर्तन दरबार सजाया गया रात्रि 8:00 से 10:0 0 तक इस अवसर पर उल्हासनगर से आए मनोहर भाई साहब यंगमैन द्वारा सत्संग कीर्तन कर संगत को निहाल किया अपनी अमृतवाणी में मनोहर भाई साहब ने गुरु नानक देव जी के कई प्रसंग सुनाए और एक ज्ञानवर्धक कथा सुनाएं उन्होंने फरमाया कि यह मानव जीवन अपनी यात्रा पर आया है अपनी यात्रा पूरी करके चला जाएगा शरीर का भोजन है रोटी चावल दाल सब्जी मन का भोजन है सत्संग कीर्तन सिमरन भक्ति शरीर पांच तत्वों से बना है और मरने के बाद पांच तत्व में विलीन हो जाएगा पर मन बीच में रह जाता है क्योंकि मन का तार परमात्मा से जुड़ा होना बहुत जरूरी है शरीर जहां से आया है वहां तो चला जाता है। पर मन परमात्मा से आया है परमात्मा के पास जाना चाहिए सत्संग कीर्तन सिमरन शरीर से नहीं मन से जुड़ा हुआ है और मन का यह भोजन भी है जिस तरह आप शरीर के लिए स्वादिष्ट भोजन खाते हो ताकि शरीर तंदुरुस्त और सुंदर बने उसि तरह मन को भी तंदुरुस्त और सुंदर बनाने के लिए जरूरी है कि आप सिमरन करें सत्संग में आए किरतन में जाएं भक्ति करें और अमृत वेले उठकर सिमरन करना नाम जपना बहुत पुण्य का काम है और इससे ओर मन व तन को एक अलग ही सकून व शांति मिलती है जरूरी नहीं है कि आप अमृत वेले उठकर गुरुद्वारे में आओ आप अपने घर में ही बैठकर गुरु का नाम सिमरन कर सकते हो जप सकते हो वाहेगुरु वाहेगुरु वाहेगुरु सारे दुखों की दवा है यह नाम शरीर को तो उसका भोजन आप दे देते हो पर मन को भी उसका भोजन मिलना चाहिए अंत समय में मन को भी परमात्मा से मिलाना चाहिए इसके लिए जरूरी है कि हम सिमरन करें सत्संग कीर्तन में जाएं। जो अलमारियों में आपने नोटों की भरी गड्डियां इकट्ठे करके रखी है वह शरीर के लिए है रोटी के लिए है पर मन के लिए आपने क्या किया है। आप पैसे जितने ज्यादा कमाते हैं उतनी आप की लालच बढ़ते जाती है बढ़ते जाती है अपने लिए तो कमाते हैं आने वाले 7 पीढ़ियों के लिए भी कमा कर जाते हैं पर कभी मन के लिए भी कुछ कार्य किया है जिस दिन आप मन को उसका भोजन दे देंगे उस दिन आपका जीवन सफल हो जाएगा और आत्मा से परमात्मा का तार जुड़ जाएगा और यह जीवन आपका सफल हो जाएगा सत्संग कीर्तन के आखिर में भाई साहब मूलचंद नारवानी जी के द्वारा विश्व कल्याण के लिए अरदास की गई प्रसाद वितरण किया गया गुरु का अटूट लंगर बरताया गया। बड़ी संख्या में साध संगत ने गुरु का लंगर चखा इस अवसर पर दरबार साहब में पहुंचकर 5 मोमबत्तियां जलाई बाबा मेहरबान साहिब जी के फोटो के सामने वह सच्चे मन से प्रार्थना की आज कि इस पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में दरबार साहब के प्रमुख प्रबंधक भाई साहब मुल नरवानी जी धर्मवीर टहिलयानी सेवादार डॉ हेमंत कलवानी पूर्व पार्षद सुरेश वाधवानी प्रकाश जगियासी नानक पंजवानी विजय दुसेजा राजू धामेचा जगदीश सुखीजा चंदू मोटवानी नरेश मेंहरचंदानी भोजराज नारवानी मेघराज नारा जगदीश जगियासी शंकर हिरवानी विकास बजाज अनीता नरवानी पलक हरजपाल कंचन रोहरा पलक मखीजा राखी इदनानी वर्षा सुखीजा कशिश जेसवानी गंगाराम सुखीजा बलराम रामानी रमेश भागवानी व अन्य सदस्यों का विशेष सहयोग रहा।