सम्पादकीय : जैसे-जैसे 2023 आगे बढ़ते जा रहा है एवं चुनाव का समय नजदीक आते जा रहा है वैसे वैसे भीषण गर्मी के बावजूद गर्मी के साथ-साथ सरगर्मी भी राजनीतिक पार्टियों में बढ़ती जा रही है क्योंकि इस साल के अंत में छत्तीसगढ़ के साथ ही मध्य प्रदेश राजस्थान में भी चुनाव होने वाले हैं तो एक तो सूरज की गर्मी दूसरी इस चुनावी गर्मी डबल गर्मी से शहर का वातावरण प्रदेश का वातावरण भी गर्म हो रहा है अब धीरे-धीरे राजनीतिक नई पार्टीया सामने आ रही है कई छोटी-छोटी नई राजनीतिक पार्टियां चुनावी दंगल में उतरने के लिए तैयारियां शुरू कर दी है अभी शुरुआती दौर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करना प्रचार प्रसार करना शुरू कर दिया है पर इन सब के बीच जो दो राष्ट्रीय मुख्य पार्टियां हैं भाजपा और कांग्रेस मुकाबला इन दो पार्टियों के बीच ही होगा और अब डूबती हुई कांग्रेश को कर्नाटक चुनाव में सफलता मिलने सेतिनके का सहारा मिल गया है।
याने राम का नाम न सही पर बजरंगबली का नाम मिल गया है :
कर्नाटक चुनाव में जिस तरह भ्रष्टाचार और बजरंगबली के नाम से चुनाव लड़ा गया उससे भ्रष्टाचार और बजरंगबली का नाम भारी पड़ गया भाजपा पर कांग्रेस ने बाजी पलट दी उम्मीद से ज्यादा सीटें जीतकर सत्ता पर काबिज हो गई। अभी तक कांग्रेश हाशिये पर थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि किस तरह भाजपा को हराया जाए और भगवान राम के नाम का तो भाजपा हर चुनाव में उपयोग जरूर करती है और अब तो भव्य राम मंदिर भी संपूर्ण होने वाला है तो कांग्रेसी आखिर हिंदू वोटर को अपनी ओर कैसे आकर्षित करने के लिए किस भगवान का नाम ले, तो उसे बजरंगबली के नाम से एक नई संजीवनी मिल गई है उन्हें नई उर्जा स्पूर्तिऔर ताकत भी मिल गई है। कर्नाटक में इसका सफल परीक्षण भी हो गया और इसका सीधा असर अब आने वाले चुनाव में होगा जिसका नजारा कुछ छत्तीसगढ़ में अभी कुछ दिनों पूर्व रायगढ़ में जो कार्यक्रम भगवान राम के नाम से हुआ
सबको समझ में आ रहा है। भाजपा भगवान राम के नाम का उपयोग करेगी तो कांग्रेसी भी बजरंगबली के नाम को लेकर आगे चलेगी। जो कांग्रेसी विगत 9 सालों से जिस संजीवनी बूटी की तलाश में थी। उसे जिस नाम की ताकत की तलाश थी उसे वह मिल गई है कर्नाटक चुनाव में और इसका पूरा पूरा फायदा आगामी चुनाव में जरूर उठाएगी अब देखना यह है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस दुबारा सत्ता में आती है कि भाजपा आती है। या फिर कांग्रेस पार्टी पिछले 5 सालों मे किए गए कार्यों का लेखा-जोखा लेकर जनता जनार्दन के बीच आती है या बजरंगबली के नाम पर आती है। भाजपा अगर वापस सत्ता में आती है तो भगवान राम के नाम पर आती है या मोदी के नाम पर आती है वैसे तो चुनाव लोकल चुनाव है प्रदेश के चुनाव हैं तो वहां के मुद्दों पर आधारित लड़े जाते हैं पर कुछ चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे भी हावी हो जाते हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे हावी ज्यादा नहीं होंगे प्रदेश के मुद्दे ही हावी रहेंगे दोनों पार्टियां भगवान का नाम उपयोग न करके विकास और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर या अन्य मुद्दे पर चुनाव लड़े जनता के हित की बात करके लड़े तो बहुत अच्छी बात है।
भगवान किसी एक पार्टी के नहीं हैं वह तो सब के हैं और उसे सबका ही रहने दें :
भगवान कोकिसी भी एक पार्टी का मत बनाओ जनता को अगर अपनी ओर आकर्षित करना है तो मुद्दों पर बात करो विकास पर बात करो जनता के हित की बात करो देश के हित की बात करो, आम जनता की भलाई के लिए कार्य करो जनता खुद ब खुद आपके साथ खड़ी हो जाएगी। भगवान की भक्ति होनी चाहिए सिमरन करें पर भगवान के नाम पर वोट की राजनीति नहीं होनी चाहिए।