सच्चा मित्र वही है जो आपका सुख देखकर नहीं, बल्कि आपका दुख देखकर आपका साथ दे – कुंदन भाई

बिलासपुर : परम पूज्य ब्रह्मस्वरूप संत बाबा गेलाराम साहब जी के आशीर्वाद से एवं पूज्य चोले वाली अम्मां मीरा देवी, देवपुरी दरबार, रायपुर की उपस्थिति एवं सानिध्य में संत बाबा हरदास राम सेवा मंडल श्री गोदड़ी वाला धाम, ओम नगर, सिंधी कॉलोनी, बिलासपुर का 24 वां स्थापना दिवस 14 अगस्त दिन सोमवार को अत्यंत धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

इसी तारतम्य में रविवार 13 अगस्त को शाम को 5:00 बजे से 7 बजे तक भाई कुंदन डोडवानी की ओजस्वी वाणी में सुखमनी साहब का पाठ संपन्न हुआ। सत्संग कीर्तन से सभी नाच झूम रहे थे । उन्होंने बाबा के द्वारा किए गए परोपकार के कार्यो के बारे में विस्तार से जानकारी दी। जांहि विधी राखे राम, ताहि विधि रहिए। मुख हो राम नाम,हांथों से हो शुभ काम,नाता राम से जोड़िये,भजन गाया। भजन कीर्तन पश्चात प्रसाद वितरण किया गया। सोमवार 14 अगस्त को सुबह 9:00 बजे झंडा वंदन, उसके पश्चात धूनी साहब का पाठ, आरती, प्रसाद वितरण के पश्चात् झूलेलाल साईं जी की पूजा अर्चना के बाद बहराणा साहब निकाला गया।

बहराणा साहब की शोभायात्रा सिंधी कॉलोनी में परिक्रमा करते हुए दिव्य ज्योति जोरा तालाब सरकंडा में विसर्जित की गई
उसके पश्चात दोपहर को सारी संगत के लिए भंडारे की व्यवस्था की गई थी, बड़ी संख्या में उपस्थित भक्तजनों ने भंडारा ग्रहण किया। रात्रि 8:00 से 10:00 तक कुंदन भैया के ओजस्वी वाणी में सत्संग कीर्तन का आयोजन किया गया। जिसमें क्रांति नगर,गुरुद्वारे के सेवक परिवार कुन्दन डोडवानी,यश डोडवानी,रीतू डोडवानी और खुशी डोडवानी व विनोद चावला भाई ने भजन कीर्तन के द्वारा अपनी सेवाएं दी।भजन कीर्तन के साथ साथ कथा वाचक कुन्दन डोडवानी ने मित्रता से संब बताया कि – प्रीत न कीजै पंछी जैसी जल सूखे उड़ जाए,प्रीत कीजै मछली जैसी जल सूखे मर जाए।

अर्थात – पक्षी जैसा प्यार नहीं करना चाहिए जब सरोवर का पानी सूख जाता है तो पंछी उड़ जाते हैं।प्यार तो मछली जैसा करना चाहिए जब तालाब का पानी सूख जाता है तो मछली मर जाती है,लेकिन सूखे तालाब को छोड़कर दूसरे तालाब में नहीं जाती।सुदामा ब्राह्मण कितना गरीब था।लेकिन भगवान कृष्ण ने उससे मित्रता नहीं तोड़ी।बल्कि एक दिन जब सुदामा ब्राह्मण के पांव में कांटा चुभ गया था तो भगवान कृष्ण ने पहले अपने हाथों से कांटा निकालने की कोशिश की, जब हाथों से कांटा नहीं निकला तो अपने दांतों से कांटे को पकड़कर कांटे को निकला।कहां तो भगवान श्री कृष्ण के चरणों को छूने के लिए देवी देवता, बड़े बड़े ऋषि मुनि तरस जाते हैं, तो वहीं भगवान कृष्ण, मित्र बनकर भक्त सुदामा के चरणों तले अपने होंठों को लगा लेते हैं,यह होती है मित्रता।

अंत में गुरु के आगे पलव पाकर कीर्तन की समाप्ति की गई।
उसके पश्चात सारी साध संगत के लिए भंडारे की व्यवस्था की गई थी।
सभी धर्म प्रेमी माताओं, भाइयों, बहनों ने भंडारा ग्रहण किया एवं खीर का आनंद लिया।
व इस पावन अवसर पर पहुंचकर गुरु घर हाजरी लगाकर संतों का आशीर्वाद लेकर अपने जीवन को सफल बनाया।
इस कार्यक्रम में देवपुरी दरबार की महंत अम्मां मीरा देवी एवं सेवा मंडल देवपुरी दरबार रायपुर एवं कोरबा के सेवादारी भी विशेष रूप से शामिल हुए।

कार्यक्रम को सफल बनाने में श्री राजकुमार लालचंदानी, भरतलाल मोटवानी, चंद्रपाल वाधवानी, गोविंद गिद्वानी, ईश्वर गिडवानी, राजा लालचंदानी, अशोक डंगवानी, नवीन थौरानी, देवानंद छेतीजा, राजकुमार कलवानी, हरीश लालचंदानी सहित,महिला मंडल की सरिता लालचंदानी, रेखा लालचंदानी, माधुरी डंगवानी, माया डेम्बरा, अनिता लालचंदानी, श्वेता आसनानी, रेखा हिंदूजा, कुमारी लालचंदानी, ममता हर्जपाल, गीता तालरेजा, सीता गंगवानी, लक्ष्मी सोमनानी, सहित सेवा मंडल के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा ।