मानव सेवा ही माधव सेवा को चरितार्थ करती शदाणी संतो की परंपरा अति प्राचीन ( लगभग 315 वर्ष प्राचीन )है मानव मात्र के कल्याण हेतु शिव अवतारी संतों ने दया व करुणा से जन कल्याण की पूरे विश्व में एक मिसाल कायम की है। शदाणी दरबार तीर्थ को भारतीय सनातन संस्कृति एवं सभ्यता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। सेवा के प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी शदाणी दरबार तीर्थ के वर्तमान् पीठाधीश्वर डॉक्टर संत श्री युधिष्ठिर लाल जी महाराज जी इस संत परंपरा के नवम् पीठाधीश्वर हैं। जिनके मार्गदर्शन व करकमलों द्वारा शदाणी संतो के श्री विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य कार्यक्रम 18अगस्त् को कस्तूरबा नगर नागपुर में आयोजित किया गया। 19 अगस्त को प्रातःकालीन श्रीमद् भागवत गीता के पाठ एवं प्रवचन भजन-कीर्तन के पश्चात् गोधूलि बेला में इतिहासिक भव्य संगीत यात्रा निकाली गई, इस अवसर पर संत श्री ने संगीत के महत्व को मानव जीवन पर प्रतिपादित किया। इस शोभायात्रा में हमारी सनातन संस्कृति के देवी देवताओं के वाद्य यंत्रों को प्रदर्शित करने के साथ ही कलश व ध्वजा के साथ यात्रा निकाली गई। संत श्री जी ने इस यात्रा के उद्देश्य को बताते हुए कहा कि वेद, पुराण, रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता आदि सभी ग्रंथ काव्य संग्रह के रूप में उपलब्ध हैं जिससे उनकी संगीतमय प्रस्तुति की जा सकती है जो मानव मन को आल्हादित कर देती है। कलयुग में मानव का मन नीरस हो चुका है।संगीत उसमें नवजीवन का संचार अपने आनंद के रस से करता है। संत श्री जी ने कुल 84 रागों का वर्णन किया तथा बताया कि इससे 84 का चक्कर(जन्म – मरण)भी समाप्त होता है, जब हम नाद ब्रह्म को पहचान लेते हैं। सामान्य भाषा में ही उन्होंने संगीत के गूढ़ रहस्य को उजागर किया। उन्होंने बताया कि भारत भूमि पर महान संगीतज्ञ हो गए हैं जिन्होंने मल्हार गा कर वर्षा करवाई व दीपक राग गाकर दीप का प्रचलन किया ऐसे ही रागों का हमारे मन और मस्तिष्क पर जो प्रभाव पड़ता है उसे अत्यंत ही सरल सामान्य भाषा में श्रोताओं के सामने रखा, संत श्री जी ने संगीत के आध्यात्मिक प्रभाव का वर्णन करते हुए नाद ब्रह्म के रहस्य नाम तथा मंत्रों की शक्ति जिससे मोक्ष की प्राप्ति होती है के रहस्य को सबके सम्मुख रखा यह अद्भुत संगीत यात्रा नागपुर की पावन धरा पर एक ऐतिहासिक यात्रा के रूप में याद रखी जाएगी। जिसमें देश तथा विदेश के भक्त श्रद्धालुओं ने अपनी उपस्थिति बड़ी भारी संख्या में दी।
शोभायात्रा के पश्चात् शिव मंदिर के विशाल प्रांगण में भजन- कीर्तन के पश्चात् भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम बच्चों के द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें आश्चर्यजनक रूप से विभिन्न आध्यात्मिक विषयों की नृत्य- नाटिकाओं द्वारा सरल प्रस्तुति की गई। अत्यधिक भारी जनसमूह को देखते हुए सभी ने इसे एक ऐतिहासिक उत्सव बताया। कार्यक्रम का अंतिम दिवस 20 अगस्त प्रातः कालीन सत्र् में श्रीमद्भागवत गीता के पाठ की पूर्णाहुति अंतिम अध्याय 18 वें अध्याय के पठन व प्रवचन के साथ हुई। शदाणी दरबार तीर्थ भारत के साथ ही सिंध व अन्य देशों में आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। इस अंतरराष्ट्रीय आस्था के केंद्र की प्रमुख दरबार शदाणी दरबार तीर्थ संत शदाणी नगर बोरिया कला रायपुर में स्थित है।