शिक्षा व्यवस्था में सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण घटक ‘शिक्षक’ है।

शिक्षा व्यवस्था में सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण घटक ‘शिक्षक’ है। शिक्षा से समाज ने जिन इच्छा, आकांक्षा और उद्देश्यों की पूर्ति की कामना की है, वह शिक्षक पर निर्भर करती है।”
शिक्षा–प्रणाली कोई भी या कैसी भी हो, उसकी प्रभावशीलता और सफलता उस प्रणाली के शिक्षकों के कार्य पर निर्भर करती है। क्योंकि भावी पीढ़ी को शिक्षित करना समाज की आकांक्षाओं का प्रतिफलन करना है।” 13 वर्ष का शिक्षकीय अनुभव में मैंने अपने विद्यार्थीयों के सर्वांगीण विकास के लिए हर संभव प्रयास किया। उन्हें स्वयं करके सीखने के लिए प्रेरित किया।
एक शिक्षक होने के नाते मैं अपने छात्रों को इस प्रकार विकसित करना चाहती हूं कि जीवन में वे सफल हो।
बालक की अन्तःशक्तियों का विकास करना।
व्यक्तित्व का विकास करना
सामाजिकता की भावना जाग्रत करना।
मूल–प्रवृत्तियों का नियन्त्रण
भावी जीवन के लिए तैयार करना।
चरित्र–निर्माण तथा नैतिक विकास करना।
आदर्श नागरिक के गुणों को विकसित करना।
राष्ट्रीय भावना का संचार करना।
भारतीय संस्कृति और राष्ट्र–गौरव से परिचित कराना।

उचित दिशा–निर्देश देना–जीवन में प्रगति मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए।

शिक्षिका का नाम
श्रीमती आशा उज्जैनी
शिक्षक
शा पू मा विद्यालय जांजी
वि ख मस्तूरी
बिलासपुर