संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा महापुराण का आयोजन 22 दिसंबर से 29 दिसंबर तक शिव मंदिर यदुनंदन नगर तिफरा बिलासपुर में आयोजित किया गया है प्रथम दिन कलश स्थापना वह भागवत महत्मव गोकर्ण कथा दूसरे दिन कुरुक्षेत्र की कथा परीक्षित जन्म तीसरे दिन सृष्टि वर्णन कपिल चरित्र ध्रुव चरित्र चौथे दिन जड़ भरत प्रहलाद चरित्र राम जन्म एवं कृष्ण जन्माष्टमी पांचवे दिन कृष्ण बाल लीला माखन चोरी गोवर्धन पूजा, व्यास पीठ में बैठे कथा वाचक श्री अमर कृष्ण शास्त्री महाराज जी ने अपनी अमृतवाणी में श्रीमद् भागवत कथा में छठवें दिन महारास लीला कंस वध उद्योव चरित्र व रुक्मणी विवाह का कथा के माध्यम से वर्णन किया अपने अमृतवाणी में शास्त्री जी ने कहा कि आज के भक्त दिन भर माला जपते हैं और सोचते हैं कि भगवान मिल जाए और नहीं मिलते हैं तो माल वापस रख देते हैं क्या सोचने से भगवान मिल जाते तो फिर आज कलयुग नहीं होता रामराज्य होता भगवान को पाना है तो सोचना नहीं है सिमरन करना है भक्ति करनी है जैसे मीरा ने स्वप्न में भगवान कृष्ण को देखा कि उनसे विवाह कर रही है उन्हें अपना पति माना और जीवन से लेकर मरण तक श्री कृष्ण की भक्ति में लीन रही सूरदास ने अपनी भक्ति से भगवान श्री कृष्ण के दर्शन किए जबकि वह सूरदास था
और आप सब की तो आंखें हैं फिर भी आपको भगवान के दर्शन नहीं हो रहे हैं क्योंकि सिर्फ पूजा करने से पाठ करने से माला जपने से भगवान प्राप्त नहीं होते हैं भाव को जगाना पड़ता है आत्मा को परमात्मा से मिलने के लिए जब तक भाव को नहीं जगाएंगे सच्चे मन से आराध्य देव की भक्ति नहीं करेंगे तब तक भगवान के दर्शन नहीं होंगे और उसके लिए इन आंखों की जरूरत नहीं है जब आपका मन एकाग्र हो जाएगा और प्रभु की भक्ति में लीन हो जाएगा तब आपको और कोई दिखाई नहीं देगा तब आपको सिर्फ कृष्ण दिखाई देंगे भगवान श्री कृष्ण कहते हैं जहां-जहां मेरे भक्त पांव रखते हैं वहां वहां मैं अपने हाथ रखता हूं आप अन्य धर्म में देखेंगे सबके एक भगवान हैं पर हमारे सनातन धर्म हिंदू धर्म में देखेंगे तो कई भगवान हैं क्यों ,,
क्योंकि भगवान हर युग में अवतार लिया सतयुग में भी त्रेता युग में भी द्वापर युग में भी कलयुग में भी
किसके लिए अवतार लिया हम पापियों के लिए लिया वह जानते थे कि कलयुग में पाप बढ़ेगा तो मेरे भक्तों का उद्धार कैसे होगा उसको समझाने के लिए उनको बताने के लिए उन्होंने हर युग में अलग-अलग रूप में अवतार लिए पापियों का संघार किया और भक्तों का उद्धार किया
श्रीमद् भागवत कथा संपूर्ण भगवान कृष्ण का स्वरूप है अगर आप इसे ध्यान से सुनेंगे एकाग्रता से और सच्चे मन से हृदय में इसे धारण करेंगे तो आपके तीनों लोक संवर जाएंगे भगवान श्री कृष्ण और कहीं नहीं
इन्हीं भागवत कथा में विराजमान है हर एक शब्द श्री कृष्ण का रूप है अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए हर रूप में सामने होते हैं पर हम देख नहीं पाते हैं क्योंकि हमारा मन व ध्यान कहीं और होता है
भगवान कृष्ण ने किस तरह कंस का वध किया अपने माता-पिता को कारावास से रिहा करवाया गुरु दीक्षा के लिए वन गए उद्योव को ज्ञान तो बहुत था पर भक्ति जगाने के लिए उन्हें गोकुल भेजा भगवान अपने भक्तों का उद्धार करने के लिए कई लीलाएं भी करते हैं रुक्मणी की दुख तकलीफ को भी देखा और उससे विवाह भी किया
भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी की ढोल बाजे के साथ बारात निकाली गई भक्तो के बीच में दोनों का शुभ विवाह संपन्न हुआ फूलों की वर्षा की गई आतिशबाजी करके भक्त जनों ने कृष्ण की जय जयकार कर के नारे लगाए अपनी अमृतवाणी में कई भक्ति भरे कृष्ण के भजन भी गाए जिसे सुनकर भक्तजन भाव विभोर हो गए कथा शाम 4:00 बजे आरंभ हुई 8:00 बजे समापन हुआ आखिर में आरती की गई प्रसाद वितरण किया गया कथा का आयोजन ठाकुर परिवार के द्वारा किया गया है