मैं कोयला हूँ सांई‌ दुआ किजिए कोहिनूर हो जाऊ जमाने भर के नयनों का मैं नूर हो जाऊ धन दोलत़ मान सम्मान चाहिए तो ज़रूर मगरइतना भी न देना सांई कि मगरूर हो जाऊं ,,,, राजकुमार

पूज्य श्री सिंधु अमर धाम आश्रम श्री झूलेलाल मंदिर झूले नगर चक्कर भाटा में चालिहा महोत्सव के अवसर पर अखिल भारतीय सिंधी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया कार्यक्रम रात्रि 10:00 बजे आरंभ हुआ 12:00 बजे समापन हुआ कार्यक्रम की शुरुआत भगवान झूलेलाल एवं बाबा गुरमुख दास जी के फोटो पर माला पहनाकर दीप प्रजवलित करके की गई कार्यक्रम में देश के अलग-अलग प्रदेशों के शहरों से कवि आए थे जिनमें प्रमुख हैं रायपुर के राजकुमार मसंद नागपुर से डॉ विनोद आसुदाणी भोपाल से नारी लछवाणी रायपुर से जया जादवाणी मुंबई से प्रिया वचछाणी इंदौर से अनमोल परियाणी
बिलासपुर से कन्हैया आहूजा बिलासपुर से मुस्कान बच्चाणी कवि सम्मेलन में प्रथम कवि के रूप में राजकुमार मसंद ने अपनी कविता के माध्यम से लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित किया उनकी कविता सुनकर लोग तालियां बजाने लगे वैसे तो उन्होंने कई कविताओं का पाठ किया पर एक कविता जो सबको ज्यादा पसंद आई उस कविता के बोल हैं
( मैं कोयला हूँ सांई दुआ किजिए कोहिनूर हो जाऊ ज़माने भर के नयनों का में नूर हो जाऊ
धन दोलत मान सम्मान चाहिए तो ज़रूर मगर
इतना भी न देना सांई कि मैं मगरूर हो जाऊं )

कन्हैया आहूजा ने हास्य कविताओं का पाठ किया उन्होंने अपनी कविताओं से लोगों को खूब हंसाया प्रिया वच्छाणी ने पति पत्नी के ऊपर कविता के माध्यम से व्यंग्य किया नई-नई शादी होती है तो किस तरह पति-पत्नी को प्यार करता है और कुछ समय के बाद किस तरह नोक झोक होती हैं
मुस्कान बच्चाणी ने अपनी बोली भाषा संस्कृती पर कविता के माध्यम से लोगों को जागृत किया जया जादवाणी ओर अनमोल परियाणी ने भी अपने-अपने कविताओं के माध्यम से लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित किया नारी लछवाणी ने भी कई कविताओं का पाठ किया लेकिन एक कविता ने लोगों का दिल छू लिया जिसके बोल थे ( कोई है कश्मीरी कोई है मद्रासी एक सिंधी है भारतवासी)

इस कविता का तात्पर्य यह है कि हर कोई किसी न किसी प्रदेश में रहता है वह बाहर जाने पर उस प्रदेश का नाम लेता है कि मैं मद्रासी हूं मैं बंगाली हूं मैं राजस्थानी हूं मैं गुजराती हूं मैं कश्मीरी हूं सबका अलग-अलग स्टेट है वह सिंधी एक ऐसा है जिसका कोई भी प्रदेश नहीं है वह समस्त भारत देश के अलग-अलग शहरों में रहते हैं और वह अपने आप को भारतवासी ही बताते हैं और इस कविता का माध्यम से उन्होंने अपना दुख भी प्रकट किया वह देश प्रेम को भी प्रदर्शित किया और उन्होंने कहा कि सिंधी जहां भी जाते हैं जिस प्रदेश में रहते हैं वहां के लोगों से मिल जाते हैं वहां की बोली भाषा संस्कृति में अपने आप को शामिल कर लेते हैं रस बस जाते हैं जैसे पानी में कोई भी रंग डालें पानी वैसा हो जाता है उसी तरह सिंधी भी जिस जगह जाता है उस माहौल में अपने आप को ढाल लेता है नागपुर के विनोद आसुदाणी जो एक नेत्रहीन है उसके बाद भी वह अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों को जगाते है वह एक संदेश भी दिया उनके जीवन परिचय के बारे में बताया गया कि वह प्रोफेसर हैं और 12 गोल्ड मेडल अभी तक प्राप्त कर चुके हैं पढ़ाई में और हाल ही में भारत सरकार के द्वारा उन्हें राष्ट्रीय साहित्य सम्मान भी प्राप्त होने वाला है

सभी कवियों ने एक से बढ़कर एक हास्य व्यंग्य अलग-अलग प्रकार की कविताओं के माध्यम से लोगों को खुब हसाया भी वह संदेश भी दिया कार्यक्रम के आखिर में सभी कवियों का सम्मान सांई जी के द्वारा शाल ओड़ाकर किया गया अंत में आरती की गई पललों पाया गया प्रसाद वितरण किया गया आज के इस पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में बाबा गुरमुख दास सेवा समिति श्री झूलेलाल महिला सखी सेवा ग्रुप के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा इस कार्यक्रम शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में लोग बिलासपुर चक्करभाटा रायपुर दुर्ग भिलाई रायगढ़ व अन्य कई शहरों से आए थे इस पूरे कार्यक्रम का सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव प्रसारण किया गया हजारों की संख्या में लोगों ने घर बैठे आज के कार्यक्रम का आनंद लिया