आदरणीय संत युधिष्ठिर लाल जी को समर्पित

किसी को तो ज्ञान की मशाल जलानी ही थी
मशाल त्याग का प्रतीक है, समर्पणता का प्रतीक है अंधेरे में प्रकाश का प्रतीक है
शिक्षा के रूप में हम अपनी भाषा को बरसों पहले भूल चुके हैं
इसके लिए कोई और नही हम खुद ही जिम्मेदार हैं
और जब कोई विषय या वस्तु विलुप्तता के कगार पर आ जाती हे तो
तो फिर इसके संरक्षण को लेकर हाय तौबा मचती हैं

परंतु किसी के पास इतनी मानसिक ताकत और त्याग करने की शक्ति नहीं होती
इसलिए वो चाहते है कि कोई दूसरा व्यक्ति आगे आये और वो इसके लिए प्रयास करें , अपना बलिदान दे

सौभाग्य से ऐसे गिने-चुने व्यक्ति हमारे समाज में आज भी मौजूद हैं जो समाज को प्रेरणा देने के लिए अपना सर्वस्त्र देने को तैयार रहते हैं
आदरणीय संत युधिष्ठिर लाल जी किसी परिचय के मोहताज नहीं है
उनके लाखों अनुयायी देश-विदेश में मौजूद है
जिस दरबार की गद्दी पर विराजमान रहते हुए पूरे समाज को सुशोभित कर रहे हैं इससे बड़ा कोई सम्मान उनके लिए नहीं हो सकता
60 दशक की उम्र को पार कर चुके हैं

समाज में विलुप्त हो रही हमारी भाषा को बचाने की प्रेरणा बनते हुए
उन्होंने एक विद्यार्थी के रूप में सिंधी भाषा में एम.ए .करने की ठान ली
किसी जॉब पाने के लिए या रोजगार पाने के लिए नहीं
सिर्फ इसलिए की समाज के युवा अपनी भाषा के प्रति सचेत हो सके
उनके साथ उनसे प्रेरणा लेते हुए 70 साल के कुछ बुजुर्ग भी सिन्धी भाषा मे परीक्षा दे रहे हैं
और वो भी कोई साधारण या सामान्य व्यक्ति न होकर उच्च शिक्षित और उच्च पदों पर रह चुके हे
देश में तीन-चार ही जगह ही ऐसे विश्वविद्यालय है जहां सिंधी भाषा में एम. ए. की परीक्षा देने की सुविधा प्रदान की जाती है
स्कूली शिक्षा से सिंधी भाषा लगभग खत्म हो चुकी है
आधुनिकता की होड़ में सभी मां-बाप अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं

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बच्चों के अंदर अपनी भाषा के प्रति इतना भी ज्ञान नहीं रहता कि वो अपने रोजमर्रा के काम आने वाले शब्दों को सिन्धी में कह सके
तो ऐसी परिस्थितियों जहां रोशनी कहीं दिखाई नहीं दे रही थी
चारों ओर अंधकार जैसा माहौल होता जा रहा था
ऐसे समय में हमारे महान संत युधिष्ठिर लाल जी ने
समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाने का बीड़ा उठाया है
जो मशाल उन्होंने जलाई है इसके ज्ञान का प्रकाश दूर-दूर तक जाएगा

वो पहले से ही लाखो लोगों की प्रेरणा थे अब करोडो लोगों के लिए प्रेरणा बनेंगे
हम तहे दिल से दंडवत होकर उनके प्रयासों को , उनके समर्पण को, उनके निश्चय को बारंबार नमन करते हैं