सादगी से बड़ा कोई सिंगांर नहीं, संत लाल सांई जी

चंद्र महोत्सव एक शाम भगवान झूलेलाल के नाम कार्यक्रम का आयोजन श्री झूलेलाल मंदिर सिंधु अमर धाम आश्रम झूलेलाल नगर चक्करभाटा में धूमधाम के साथ मनाया गया कार्यक्रम की शुरुआत भगवान झूलेलाल बाबा गुरमुख दास जी के फोटो पर पुष्प अर्पण कर
पूज्य बहाराणा साहब की अखंड ज्योत प्रजवलित करके की गई कार्यक्रम रात्रि 8:00 बजे आरंभ हुआ 11:00 बजे समापन हुआ इस अवसर पर रमेश म्यूजिकल पार्टी रायपुर के द्वारा संगीत मय भक्ति मय कार्यक्रम की शानदार प्रस्तुति दी गई एक से बढ़कर एक भक्ति भरे भजन व गीत गाए, जीसे सुनकर भक्तजन झूम उठे संत लाल सांई जी के द्वारा अपनी अमृतवाणी में सभी भक्तजनों को चंद्र दिवस की बहुत-बहुत बधाइयां एवं शुभकामनाएं दी एवं सत्संग के माध्यम से ज्ञान भरी जीवन का उद्वार करने वाली कई अमृतवाणी में बातें बताइ
सांई जी ने फरमाया कि इंसान को सादा जीवन जीना चाहिए सादगी में रहना चाहिए क्योंकि ऊपर का जो कुदरती कलर है रंग है वही सच्चा है बाकी सब झुठा है दिखावा है , क्रीम पाउडर तो चंद घंटे चेहरे में लगेंगे,रहेगे उतरने के बाद तो चेहरा वापस , वैसे ही वैसा ही दिखेगा पर जो अपना असली चेहरा है अपना असली सादा जीवन है वही स्वरूप सही है
उन्होंने एक कथा सुनाई एक गाँव, रामपुर में एक बुजुर्ग महिला सर पर लकडीयों का गत्था लेकर पैदल जंगल के रास्ते जा रही थी अपने घर 🏠 गर्मी का टाइम था तेज गर्मी थी एक बैलगाड़ी में व्यक्ति सामान भरकर उसी तरफ जा रहा था उन्हें जब इस बुजुर्ग महिला को देखा तो उन्हें तरस आ गया तो उन्होंने कहा माता जी तुम मेरी बैलगाड़ी में बैठ जाओ मैं भी उसी तरफ जा रहा हूं तुम्हें उतार दूंगा तो वह मां अपने सिर पर जो लकड़ी का गठ्ठा था उसको लेकर उसके बैलगाड़ी में बैठ गई सेठ जी यह देखकर हैरान हो गया की बैलगाड़ी में बैठने के बाद भी जो माता जी है लकड़ी के गट्ठा अपने सर से उतार के नीचे नहीं रख रही है अपने सिर पर ही रखी है तो उसने माता की से कहा कि इसे उतार के नीचे 🐂 बेल गाड़ी में रख दो इसलिए तो मैंने आपको बैठाया है ताकि आपको तकलीफ ना हो गर्मी में माताजी ने कहा बेटा तुम्हारे बैलगाड़ी में पहले ही बहुत सामान भरा पड़ा है ऊपर से मैं अपना लकड़ी के गट्ठा भी रख दूंगी तो बेचारे बैलो पर और ज्यादा बोझ आ जाएगा इसलिए मैं इसे नहीं उतरूंगी अब उस माता जी को कौन समझाए की लकड़ी के गठ्ठा चाहे आप अपने सिर पर रखो चाहे उतार के नीचे रखो इसका वजन तो उस 🐂 बैल पर पढ़ना ही पढना है
इस तरह हमारे जीवन का भी ऐसा ही एक ना समझ फैसला है
जैसे एक कान को इधर से पकड़ो यां उधर से पकड़ो फर्क कुछ नहीं पढ़ने वाला है अगर आप
अपने गुरू पर विश्वास करते हो भरोसा करते हो तो फिर क्यों चिंता करते हो चिंता का जो बोझ है अपने सिर पर लाद के रखे हो उसे उतार कर नीचे रख दो सामने बैठा है आपका भगवान उस पर छोड़ दो वह तुम्हारा बोझ खुद उठा लेगा और तुम्हें तकलीफ नहीं होने देगा बस विश्वास तो रखो फिर सारी तकलीफ है चुटकी में दूर हो जाएगी इतनी छोटी सी बात हमको समझ में नहीं आती है और हम रात भर टेंशन में चिंता में जीते रहते हैं सत्संग में आने का यही तो फायदा है कि जो ज्ञान की बातें और जो अनमोल वचन तुम्हें यहां मिलेंगे और कहीं नहीं मिलेंगे सत्संग में आत्मा को परमात्मा से मिलने के साथ-साथ जीवन को सुख में कैसे जिए यह भी संत बताता है पर जरूरत है उन बातों को ध्यान से सुनो और उस पर अमल करना तो आपका जीवन संवर जाएगा कार्यक्रम के आखिर में आरती की गई प्रार्थना की गई पल्लव पाया गया प्रसाद वितरण किया गया आए हुए सभी भक्तजनों के लिए आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्त जनो ने भंडारा ग्रहण किया ढोल बाजे के साथ पूज्य बहराणा साहब को मंदिर से निकलकर तालाब ले गए विधि विधान के साथ सांई जी के द्वारा बहराणा साहब का विसर्जन किया गया अखंड ज्योत को तराया गया आज के इस पूरे आयोजन का सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव प्रसारण किया गया हजारों की संख्या में घर बैठे लोगों ने आज के कार्यक्रम का आनंद लिया इस आयोजन में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में भक्तजन बिलासपुर चक्करभाटा बिलहा भाटापारा रायपुर दुर्ग शहरों से आए थे आज के इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में बाबा गुरमुख दास सेवा समिति श्री झूलेलाल महिला सखी सेवा ग्रुप की सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा

भवदीय
विजय दुसेजा