पढ़ने लिखने में बेहद कमजोर थे मगर बने कलेक्टर
छत्तीसगढ़ शांत राज्य बिलासपुर रहने लायक जिला,रिटायरमेंट के बाद यहीं बसने का है इरादा
बिलासपुर। शनिवार को बिलासपुर प्रेस क्लब के पहुना बनकर पहुंचे बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण ने अपने जीवन के कई अनछुये पहलुओं से पत्रकारों को परिचित कराया। इस दौरान उन्होंने बिलासपुर से अपनी आत्मीयता के कारणों का भी खुलासा किया ।
बिलासपुर प्रेस क्लब के अभिनव पहल हमर पहुना के तहत लगातार विशिष्ट जन चौथे स्तंभ से औपचारिक रूप से व्यक्तिगत और कार्य जगत के अनुभव एवं विचार साझा कर रहे हैं। इसी क्रम में शनिवार को बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण बिलासपुर प्रेस क्लब पहुंचे, जहां उन्होंने बताया कि बिलासपुर से उनका पुराना और गहरा नाता रहा है ।इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट जगत के पत्रकारों के साथ इन दिनों बेहद प्रभावी वेब पोर्टल के पत्रकारों से भी उनकी घनिष्ठता और निकटता है। कई पत्रकारों को वे प्रत्यक्ष रूप से जानते हैं तो अधिकांश से कामकाज के दौरान प्रायः हर दिन भेंट मुलाकात होती है। उन्होंने बताया कि एन विधानसभा चुनाव के बीच में चुनाव आयोग ने उन पर भरोसा जताते हुए अक्टूबर महीने में बिलासपुर कलेक्टर के रूप में उन्हें भेजा। इसके बाद विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बेहतर क्रियान्वयन को वे अपने और विभाग की उपलब्धि मानते हैं।
वर्तमान कलेक्टर अवनीश शरण ने जानकारी देते हुए बताया कि साल 2010 में प्रशिक्षु अधिकारी के रूप में भी उन्होंने प्रोबेशन काल बिलासपुर में ही बिताया था। इसके बाद साल 2012 से 2014 तक वे बिलासपुर नगर निगम कमिश्नर रहे। बीच का कुछ अरसा हालांकि उन्होंने जशपुर एसडीएम के रूप में बिताया लेकिन अपने कार्यकाल का अधिकांश समय उन्होंने बिलासपुर में बिताया इसलिए मीडिया जगत के अधिकांश चेहरे उनके परिचित है। उन्होंने इस बात के लिए भी प्रसन्नता जाहिर की कि इन सबका लगातार सहयोग उन्हें मिला है। केवल खबर के लिहाज से ही नहीं, बल्कि शहर विकास और प्रशासनिक कामकाज के दृष्टिकोण से भी उन्हें हमेशा से ही पत्रकारों के महत्वपूर्ण सुझाव मिलते रहे हैं।
बिलासपुर शहर उनके लिए इसलिए भी यादगार है कि यही पद स्थापना के दौरान उनका विवाह हुआ था और यह बड़ा संजोग है कि जिस दिन वे बिलासपुर प्रेस क्लब पहुना बन कर पहुंचे उस दिन उनकी 11वीं वैवाहिक वर्षगांठ थी।
बिलासपुर से मिले प्यार से अभिभूत है कलेक्टर
कलेक्टर अवनीश शरण ने बताया कि बिलासपुर की अपनी विशेषताएं हैं। यहां हर किसी को बहुत प्यार और अपनापन मिलता है। रहने के लिहाज से बिलासपुर से बेहतर और कोई जगह नहीं, इसलिए वे रिटायरमेंट के बाद भी बिलासपुर में ही रहने की इच्छा रखते हैं। अपने कार्यकाल के दौरान उनका सामना अक्सर पत्रकारों से होता है और कई पत्रकारों को वे व्यक्तिगत तौर पर भी जानते हैं, जिनके द्वारा अक्सर उन्हें जनहित में सुझाव और सलाह भी मिलते रहे हैं। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि बिलासपुर में उनकी तीसरी पद स्थापना पर भी यह सिलसिला बरकरार है।
औसत दर्जे के विद्यार्थी रहे हैं अवनीश शरण
अपने स्कूली जीवन की चर्चा करते हुए अवनीश शरण ने बताया कि वे प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर औसत से भी कम दर्जे के विद्यार्थी रहे हैं। और किसी तरह केवल पास हो जाया करते थे। लेकिन 10वीं- 12वीं के बाद पढ़ाई के प्रति गंभीरता आयी। इसका श्रेय वे अपने अभिभावकों को देते हैं ,जिन्होंने कभी भी उनके 44% अंक आने पर उन्हें हतोत्साहित नहीं किया उल्टे उन्हें बेहतर करने के लिए लगातार प्रेरित करते रहे। वैसे उन्हें प्रेरणा अपने पत्रकार पिता से भी मिली, जिनकी जीवटता और लगनशीलता ने उन्हें कुछ अलग करने को प्रोत्साहित किया । कलेक्टर अवनीश शरण ने बताया कि उनके पिता हिंदुस्तान दैनिक में बतौर पत्रकार 15 साल से अधिक वक्त तक सक्रिय रहे हैं और आज भी उनकी वही सक्रियता बरकरार है। कई किताब और थीसिस लिखने वाले उनके पिता आज भी देर रात तक जागकर लेखन कार्य करते हैं। हिंदी साहित्य में उनके दखल की वजह से अवनीश शरण की भी रुचि इसी विषय पर हुई और यूपीएससी में हिंदी साहित्य ही उनका विषय रहा।
कलेक्टर अवनीश शरण ने कहा कि आज के पेरेंट्स 93% से अधिक अंक पाने वाले बच्चों से भी खुश नहीं होते है और उनके दौर में 44% अंक हासिल करने के बाद भी उन्हें कभी डांट नहीं पड़ती थी। अपने विद्यार्थी जीवन के पन्ने खोलते हुए कलेक्टर अवनीश शरण ने कहा कि स्नातक की पढ़ाई पूरी होते-होते प्रशासनिक अधिकारी बनने की रुचि जागने लगी थी । वह ऐसा दौर था जब प्रशासनिक अधिकारी आम आदमी की पहुंच से बेहद दूर था। वे स्वयं प्रशासनिक अधिकारी बनने के बाद ही किसी कलेक्टर से मिल पाए थे। उन्होंने बताया कि सफलता के पूर्व उन्होंने कई बार स्टेट पीएससी की परीक्षा दी थी। वे छत्तीसगढ़ पीएससी में भी दो बार सम्मिलित हुए। इस दौरान उन्हें बिलासपुर और कोरबा में सेंटर मिला। छत्तीसगढ़ के अलावा उन्होंने उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और अन्य कई राज्यों की पीएससी परीक्षा दी, जिसमे वे कभी प्रीलिम्स भी क्लियर नहीं कर पाए, लेकिन उनका लक्ष्य यूपीएससी था। इसमे पहली बार ही वे इंटरव्यू तक पहुंच गए और दूसरी बार उन्हें ऑल इंडिया 77 रैंक हासिल हुआ।
वे इसे अपना सौभाग्य मानते हैं कि उन्हें छत्तीसगढ़ कैडर मिला। यहां पदस्थापन के बाद उन्हें कभी यह अनुभूति नहीं हुई कि वे बाहरी है ।स्थानीय लोगों का इतना प्यार और सहयोग मिला कि वे अब यही के होकर रह गए है। अवनीश शरण ने बताया कि छत्तीसगढ़ के लोग बेहद सहयोगी स्वभाव के है। राजनीतिक रूप से भी यह प्रदेश स्थिर है। कानून और सुरक्षा की व्यवस्था यहां अन्य राज्यों से काफी बेहतर है। इसलिए उनकी इच्छा है कि वे रिटायरमेंट के बाद यही बस जाए।
छत्तीसगढ़ में रहा बेहद सफल कार्यकाल
अपने कार्यकाल के बारे में जानकारी देते हुए अवनीश शरण ने बताया कि प्रोबेशन पीरियड के बाद 2012 से लेकर 2014 तक वे बिलासपुर नगर निगम के कमिश्नर रहे। 2014 में उन्हें रायपुर नगर निगम का कमिश्नर बनाया गया। रायपुर में ही अपर कलेक्टर और जिला पंचायत के सीईओ भी रहे। इसके बाद वे बलरामपुर के कलेक्टर बनाए गए। 2016 से 2018 तक बलरामपुर कलेक्टर रहने के बाद उनका स्थानांतरण कबीरधाम हुआ । काफी समय उन्होंने डायरेक्टरेट में भी बिताया, जहां उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी प्रदान की गई थी। जहां से विधानसभा चुनाव के दौरान बीच में ही उन्हें बिलासपुर कलेक्टर के तौर पर भेजा गया।
पत्रकारों के सवालों का दिया बेबाक जवाब
अपने जीवन से जुड़े अनछुये पहलुओं के बारे में जानकारी देने के बाद बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण ने पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने बताया कि बिलासपुर की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान लगातार मजबूत हो रही है और बिलासपुर को अपनी उपलब्धियो के चलते एक के बाद एक राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो रहे हैं ।उन्होंने बताया कि उनके वर्तमान कार्यकाल का काफी वक्त चुनाव में बीत गया। इसके बाद वे शहर की आवश्यकताओं को लेकर संजीदा है। उनका मानना है कि पिछले 10-12 सालों में बिलासपुर का काफी विस्तार हुआ है। जो क्षेत्र पहले ग्रामीण माने जाते थे, उन्हें भी नगर निगम में शामिल किया गया है। वर्तमान में 70 वार्ड और 10 जोन है। कलेक्टर अवनीश शरण का मानना है कि एक ही शहर होने के बावजूद शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की अपनी-अपनी पृथक समस्याएं हैं। शहर में जहां ट्रैफिक अव्यवस्था को वे सबसे बड़ी कमजोरी मानते हैं तो वही शहर से सटे ग्रामीण इलाकों में आज भी बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाई है। हालांकि उनका मानना है कि पिछले कुछ सालों में क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं । बाईपास सड़कों से यातायात व्यवस्था मजबूत हुई है , लेकिन शहरी यातायात को बेहतर करने के लिए रिंग रोड की आवश्यकता पर उनका जोर है । वे इसे भविष्य की मांग मानते हैं। कलेक्टर अवनीश शरण ने बताया कि यह बिलासपुर का सौभाग्य है कि यह राज्य के केंद्र में है और रेल ,हवाई एवं सड़क मार्ग से हर तरफ से जुड़ा हुआ है। इसलिए बिलासपुर को अनदेखा नहीं किया जा सकता। उनका मानना है कि बिलासपुर तेजी से एजुकेशन हब भी बनता जा रहा है और यहां के विद्यार्थियों में भी पूरी क्षमता है, जिन्हें प्रशासनिक मदद की आवश्यकता है, जिसके बाद यहां से भी बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारी निकल सकते हैं ।
उनका मानना है कि बिलासपुर शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर चिंतित पुलिस और प्रशासन अपनी जिम्मेदारियां का निर्वहन कर रहा है लेकिन इसी के साथ आम लोगों में भी जागरूकता की आवश्यकता है। लोगों में सिविक सेंस की कमी की बात कहते हुए उन्होंने बताया कि आम लोगों को जागरूक करने के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं । आईटीएमएस से भी काफी बदलाव आया है। एक तरफ ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों के खिलाफ जुर्माने की कार्यवाही की जा रही है तो वही बैठक और अन्य आयोजन कर आम लोगों में जागरूकता पैदा करने की कोशिश भी जारी है। ट्रैफिक समस्या के अलावा बिलासपुर में पेयजल संकट पर भी काफी हद तक काबू पाने का उन्होंने दावा किया। उनका मानना है कि अमृत मिशन योजना से बिलासपुर की वाटर सप्लाई बेहतर हुई है, आने वाले 1- 2 सालो में यह व्यवस्था और सुधरेगी। उन्होंने विकास के साथ सेवा को भी जन-जन तक पहुंचाने पर जोर देने की बात कही। वे इस बात से सहमत नहीं है कि शहर के विकास का पैमाना पेरिस इंग्लैंड या इटली होना चाहिए। इस तुलना की बजाय वे चाहते हैं कि यह देखा जाना चाहिए कि पिछले 10- 12 सालों में हम कहां से कहां तक पहुंचे हैं। उनका मानना है कि बिलासपुर हर लिहाज से बेहतर हुआ है। लेकिन अभी संभावनाये और भी है। शहर विस्तार के साथ यहां एक के बाद एक बन रहे कंपलेक्स शहर को विकसित होने की पहचान दे रहे हैं ।उन्होंने बताया कि बिलासपुर में नए शामिल ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन संबंधी विवाद जरूर है और इसके पीछे कुछ जमीन दलालों की भूमिका है । कई स्थानों का मैप नहीं है, इस कारण सीमांकन में भी परेशानी आ रही है, लेकिन उनका मानना है कि कानून व्यवस्था के लिहाज से यह शहर बेहद शांत और सुकून भरा है। अधिकांश समस्याओं का समाधान बातचीत से निकल आता है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को बेहतर बनाने पर जोर दिया ।पर माना कि यह अभी भी चुनौती भरा काम है। उनका मानना है कि इन योजनाओं के बीच से बिचौलियों को हटाना उनकी प्राथमिकता है।
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कलेक्टर ने माना कि जिले की सड़कों पर मवेशियों का जमावड़ा दुर्घटनाओं की वजह है। इसे लेकर हाई कोर्ट के निर्देश पर हर 15 दिन में सचिव स्तर पर बैठक हो रही है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में इस समस्या से निपटने अलग-अलग प्रयास किये जा रहे हैं । एक तरफ जहां सड़क पर मौजूद मवेशी को हटाकर गौशाला पहुंचाया जा रहा है तो वहीं पंचायत में चौपाल आयोजित कर प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि, ग्रामीणो को जागृत कर मवेशियों को इस मौसम में घर पर ही रखने को राजी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मोपका में गायों को रखने के लिए गौशाला निर्मित की गई है ,जहां उन्हें हर संभव सुविधा प्रदान की जा रही है । बिलासपुर में ट्रैफिक रूल को लेकर उन्होंने कहा कि नियम कायदे धीरे-धीरे लागू किए जाएंगे ।वे व्यवहारिक पक्ष के पक्षधर नजर आए। उन्होंने कहा कि आज भी कोई स्वेच्छा से हेलमेट नहीं पहनता। इसे अगर अनिवार्य कर दिया जाए तो यह कई लोगों के लिए बड़ी समस्या बन जाएगी, इसलिए इसे धीरे-धीरे लागू किया जाएगा। लोगों में जागरुकता आएगी तो वे पुलिस के डर से नहीं बल्कि अपनी सुरक्षा के लिए हेलमेट पहनने लगेंगे । उन्होंने बताया कि ITMS के जरिए ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों पर लगातार जुर्माना किया जा रहा है और जुर्माने से हासिल रकम करोड़ तक जा पहुंची है। इससे जन चेतन भी जागृत हो रही है । पत्रकारों को जानकारी देते हुए कलेक्टर अवनीश शरण ने बताया कि अरपा रिवर व्यू आने वाले दिनों में शहर का पर्यटन केंद्र बनकर उभरेगा। यहां की सजावट, नौका विहार जैसी भविष्य की तस्वीरें बेहद लुभावनी है। बिलासपुर में वाटर हार्वेस्टिंग और फायर सेफ्टी को लेकर भी उन्होंने किए जा रहे कार्यों से पत्रकारों को अवगत कराया।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि बलरामपुर कलेक्टर रहने के दौरान वे उस वक्त पूरे देश में चर्चा में आ गए थे जब उन्होंने अपनी बेटी का दाखिला एक सरकारी स्कूल में कराया था। इस विषय में जानकारी देते हुए अवनीश शरण ने बताया कि एक तो बलरामपुर में कोई बेहतर निजी स्कूल था नहीं, सबसे अच्छा स्कूल सरकारी ही था, इसलिए उन्होंने अपनी बेटी का दाखिला सरकारी स्कूल में किया था । वही उनका निजी विचार है कि हर बच्चे को प्राथमिक शिक्षा किसी सरकारी स्कूल में ही लेना चाहिए जो उसके व्यक्तित्व में सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करता है। उनका निजी अनुभव भी यही रहा है। उन्होंने बताया कि उनकी 10 साल की बेटी सरकारी स्कूल में आरंभिक पढ़ाई करने की वजह से बेहद विनम्र, संवेदनशील और सरल है। वह कभी भी अपना स्कूल मिस नहीं करना चाहती। उनका मानना है कि नई शिक्षा नीति के तहत सबको अपनी मातृभाषा में शिक्षा दी जाएगी और मातृभाषा में शिक्षा के लिए सरकारी स्कूल से बेहतर कुछ और नहीं हो सकता। विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखने के अलावा पत्रकारों के सवालों का जवाब देने वाले पहुना का बिलासपुर प्रेस क्लब के पदाधिकारियो ने शाल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह देखकर अभिनंदन किया। बिलासपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष इरशाद अली, कोषाध्यक्ष प्रतीक वासनिक, सहसचिव दिलीप जगवानी, कार्यकारिणी सदस्य गोपी डे ने कलेक्टर अवनीश शरण का अभिनंदन किया। इस अवसर पर बिलासपुर प्रेस क्लब के पदाधिकारियो के अलावा बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और वेब पोर्टल जगत के पत्रकार मौजूद रहे।