माननीय राज्यपाल, माननीय मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर के नाम तहसीलदार बिलासपुर को ज्ञापन सौंपा-रंजेश सिंह

बिलासपुर:-  रंजेश सिंह एनएसयूआई प्रदेश सचिव  के नेतृत्व में  अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, कोनी, बिलासपुर में नियमित कुलसचिव की पदस्थापना करने की मांग के साथ विश्वविद्यालय में व्याप्त प्रशासनिक कुप्रबंधन, वित्तीय अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के संबंध में एवम उच्च शिक्षा विभाग द्वारा गलत तरीके से श्रेणी बदल कर की गई पदोन्नति (सहायक कुलसचिव से उप कुलसचिव ) की जांच की मांग को लेकर माननीय राज्यपाल, माननीय मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर के नाम तहसीलदार बिलासपुर को  ज्ञापन सौप कर न्यायिक जांच की मांग कि गई ,
रंजेश सिंह ने बताया कि छ.ग. शासन, उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर में नियमित कुलसचिव की पदस्थापना करने की मांग के साथ विश्वविद्यालय में व्याप्त प्रशासनिक कुप्रबंधन, वित्तीय अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के संबंध में  ज्ञापन प्रस्तुत है जो बिंदु में है :-

1. अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर में 5 मार्च, 2019 से नियमित कुलसचिव की नियुक्ति/पदस्थापना छत्तीसगढ़ शासन, उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नहीं किया गया है I राज्य शासन (छ.ग. शासन, उच्च शिक्षा विभाग) के आदेश दिनांक 5 मार्च, 2019 द्वारा नियमित कुलसचिव डॉ. इंदु अनंत (छत्तीसगढ़ राज्य विश्वविद्यालय सेवा की सबसे वरिष्ठ अधिकारी) का स्थानांतरण पंडित सुंदर लाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय, बिलासपुर में करते हुए डॉ. सुधीर कुमार शर्मा (प्राध्यापक) की अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर में कुलसचिव के पद पर  प्रतिनियुक्ति कर पदस्थापना किया गया था एवं आदेश दिनांक 6 अक्टूबर, 2022 द्वारा प्रतिनियुक्ति समाप्त कर दिया गया था, परन्तु आज दिनांक तक नियमित कुलसचिव की पदस्थापना नहीं किया गया I
डॉ. सुधीर कुमार शर्मा (प्राध्यापक) की कुलसचिव के पद पर प्रतिनियुक्ति समाप्त किये जाने के बाद विश्वविद्यालय के आदेश दिनांक 13 अक्टूबर, 2022 से श्री शैलन्द्र दुबे, उप कुलसचिव को कुलसचिव के पद का प्रभार कुलपति प्रोफ़ेसर ए.डी.एन. बाजपेयी के निर्देश पर दिया गया है, जबकि कुलपति को कुलसचिव के पर पर नियुक्ति/पदोन्नति/प्रभार देने का अधिकार नहीं है I
श्री शैलन्द्र दुबे, उप कुलसचिव द्वारा स्वयं को कुलसचिव घोषित कर कुलसचिव के पदनाम से समस्त प्रशासनिक एवं वित्तीय कार्य किया जा रहा है और कुलपति प्रोफ़ेसर ए.डी.एन. बाजपेयी द्वारा उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है I

2.छ.ग. शासन, उच्च शिक्षा विभाग द्वारा श्री शैलन्द्र दुबे एवं अन्य सहायक कुलसचिव की उप कुलसचिव के पद पर वर्ष 2021 एवं 2022 में की गई पदोन्नति नियम विरुद्ध किया गया है. पदोन्नति प्रस्ताव में सहायक कुलसचिव राजपत्रित, प्रथम श्रेणी (वेतनमान 15600 – 39100 + 6600 ग्रेड वेतन/ लेवल – 13) के पद को द्वितीय श्रेणी बताकर पदोन्नति कर दिया गया है. इसकी शिकायत अन्य सहायक कुलसचिव द्वारा माननीय राज्यपाल, माननीय मुख्यमंत्री, माननीय उच्च शिक्षा मंत्री, सचिव, छ.ग. शासन, उच्च शिक्षा विभाग के समक्ष किया गया है और माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर में रिट याचिका WP(S) No. 5621/2022 भी दायर किया गया है I

3. अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर में वित्तीय वर्ष 2022-23 में छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम, 2002 (यथासंशोधित) का पालन नहीं करते हुए निविदा प्रक्रिया किये बिना सीधे आईटीआई लिमिटेड, मुंबई से एम.ओ.यू. कर IUMS लागू कर दिया गया, जबकि पूर्व में अनुबंधित फर्म MICS, BHOPAL के साथ हुए अनुबंध की अवधि समाप्त नहीं हुआ था और अनुबंध निरस्त भी नहीं किया गया था I अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर में श्री शैलेन्द्र दुबे, उप कुलसचिव द्वारा कुलसचिव के पद का प्रभार निर्वहन करते हुए विगत वर्ष 2022 में छ.ग. भंडार क्रय नियम, 2002 (यथा संशोधित) के प्रावधानों का पालन नहीं करते हुए बिना निविदा आमंत्रित किये एक संस्था आई.टी.आई. लिमिटेड, मुंबई से सीधे अनुबंध/एम.ओ.यू. कर कई महीनों तक अनेक कार्य कराया गया, परंतु संतोषजनक कार्य नहीं कर पाने, छात्र-छात्राओं को अनेक प्रकार की समस्या एवं परेशानी होने आदि कारण से पूर्व में अनुबंधित फर्म MICS, BHOPAL से पुन: वर्ष 2023 में छ.ग. भंडार क्रय नियम, 2002 यथा संशोधित के प्रावधानों का पालन नहीं करते हुए बिना निविदा किये सीधे कार्यादेश जारी किया गया, साथ ही पूर्व में अनुबंधित दरों में वृद्धि भी कर लिया गया. उक्त फर्म को वित्तीय वर्ष 2022-23 में एवं वित्तीय वर्ष 2023-24 में लगभग दो करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया गया है. इस कार्य में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ए.डी.एन वाजपेयी, प्रोफेसर एच.एस. होता एवं वित्त अधिकारी             श्री एलेक्जेंडर कुजूर भी भागीदार है.
4. विश्वविद्यालय में वर्ष 2019 से 2024 तक बिना निविदा जारी किये विभिन्न कार्य कराया गया और सामंग्री जैसे फर्नीचर, कम्प्यूटर, प्रिंटर, फोटोकॉपी मशीन, ए.सी., टी.व्ही., आलमारी, पुस्तकें, जर्नल्स, पत्र, पत्रिकाएँ आदि क्रय किया गया, विभिन्न फर्मों से सेवा प्राप्त किया गया जैसे ऑनलाइन रिजल्ट प्रोसेसिंग कार्य, ऑनलाइन प्रवेश एवं नामांकन, परीक्षा फॉर्म जमा करवाने, फीस आदि का भुगतान करवाने, वेबसाइट तैयार कर प्रबंधन करने आदि, जिसमें छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम, 2002 (यथा संशोधित) का पालन नहीं किया गया और विभिन्न फर्मों को भुगतान किया गया है.
विश्वविद्यालय में वर्ष 2019 से 2024 तक दीक्षांत समारोह,
वर्कशॉप, कार्यक्रम, सेमीनार, व्याख्यान आदि के लिए बिना निविदा जारी किये सीधे विभिन्न फर्म/लोगों से कार्य कराया गया है और कार्य करने वाले फर्म/व्यक्ति को भुगतान किया गया है.

5. सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत निविदा, अनुबंध, कार्यादेश, क्रय आदेश, भुगतान से संबंधित दस्तावेजों का अवलोकन करने और सत्यापित छायाप्रति की मांग करने पर श्री शैलेन्द्र दुबे एवं कुलपति के निर्देश पर जन सूचना अधिकारी द्वारा श्रीमती नेहा राठिया, उप कुलसचिव (परिवीक्षाधीन) द्वारा दस्तावेज का अवलोकन नहीं कराया जाता है और छायाप्रति प्रदाय नहीं किया जाता है.
श्री शैलेन्द्र दुबे को अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर में सहायक कुलसचिव के पद पर पदस्थापना के दौरान जनसूचना अधिकारी के रूप में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत आवेदनों पर समय सीमा में कार्यवाही नहीं करने के कारण छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग, रायपुर द्वारा द्वितीय अपील प्रकरण क्रमांक ए/2643/2020 में आदेश दिनांक 29.07.2022 द्वारा राशि रूपए 9,250/- अर्थदण्ड अधिरोपित किया गया है. इसके अलावा आवेदक को नि:शुल्क जानकारी प्रदाय करने में शासन/विश्वविद्यालय को हुई आर्थिक क्षति की राशि भी जमा करने के लिए आदेशित किया गया है, परंतु श्री शैलेन्द्र दुबे द्वारा अर्थदण्ड की राशि जमा नहीं किया गया है, जो स्पष्ट तौर पर आयोग द्वारा जारी आदेश की अवहेलना है. इस प्रकार छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 का उल्लंघन किया गया है.

6.विश्वविद्यालय में वर्ष 2019-20 से 2023-24 तक छत्तीसगढ़ राज्य संपरीक्षा, क्षेत्रीय कार्यालय बिलासपुर द्वारा वार्षिक ऑडिट में अनेक गंभीर अंकेक्षण आपत्ति की गई है, जिसका श्री शैलेन्द्र दुबे (उप कुलसचिव) एवं          श्री एलेक्जेंडर कुजूर (वित्त अधिकारी) द्वारा नियमानुसार निराकरण नहीं किया गया है. क्योंकि गंभीर वित्तीय अनियमितता दोनों के द्वारा कुलपति प्रोफ़ेसर ए.डी.एन. बाजपेयी के संरक्षण में किया गया है.

7.श्री शैलेन्द्र दुबे द्वारा सहायक कुलसचिव के पद पर अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर में पदस्थापना के दौरान माह जनवरी, 2019 में नियोक्ता प्राधिकारी/सक्षम प्राधिकारी को सूचना दिए बिना एवं अनुमति के बिना ही सरकंडा, बिलासपुर में स्वयं के नाम से मकान/फ़्लैट क्रय किया गया है. वर्ष 2022 में सहायक कुलसचिव से उप कुलसचिव के पद पर पदोन्नति के पूर्व छ.ग. शासन, उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आयुक्त, उच्च शिक्षा संचालनालय से श्री शैलेन्द्र दुबे के अचल संपत्ति विवरण में संपत्ति क्रय की जानकारी उल्लेख किये जाने पर इस संबंध में जानकारी प्राप्त किया गया. तब श्री शैलेन्द्र दुबे द्वारा 28 मार्च, 2019 की तिथि में बैक डेट में तत्कालीन कुलसचिव डॉ. सुधीर कुमार शर्मा को आवेदन देकर सूचना दी गई, जबकि संपत्ति क्रय करने की अवधि में माह जनवरी, 2019 में अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर में कुलसचिव डॉ. इन्दु अनंत पदस्थ थी. श्री शैलेन्द्र दुबे ने तत्समय पदस्थ कुलसचिव से सरकंडा, बिलासपुर में मकान/फ़्लैट क्रय करने के पूर्व अनुमति प्राप्त करने अथवा सूचना देने संबंधी अभिलेख शासन के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया था. इसके बाद भी उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा पदोन्नति प्रस्ताव में उसका नाम सम्मिलित किया गया और माह जून, 2022 में श्री शैलेन्द्र दुबे की उप कुलसचिव के पद पर पदोन्नति कर दी गई. नियोक्ता प्राधिकारी/सक्षम प्राधिकारी से अनुमति प्राप्त किये बिना या पूर्व सूचना दिए बिना ही अचल संपत्ति क्रय करना गंभीर कदाचार है और छ.ग. सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 का स्पष्ट उल्लंघन है.

8.विश्वविद्यालय के अधिसूचना दिनांक 29.11.2022 अनुसार तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी पदों पर भर्ती एवं पदोन्नति के संबंध में कार्यपरिषद द्वारा अनुमोदित विनियम क्रमांक-19 में (उक्त विनियम दिनांक 04.11.2022 से प्रभावशील) में तृतीय श्रेणी एवं चतुर्थ श्रेणी के कतिपय पदों में पदोन्नति के लिए न्यूनतम 3 वर्ष की सेवा अवधि/अनुभव एवं  3 वर्ष के गोपनीय प्रतिवेदन देखे जाने का प्रावधान किया गया है, जबकि छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग, वित्त विभाग, उच्च शिक्षा विभाग सहित अन्य विभाग के भर्ती नियम में तृतीय श्रेणी एवं चतुर्थ श्रेणी के कतिपय पदों में पदोन्नति के लिए न्यूनतम 5 वर्ष की सेवा अवधि/अनुभव एवं 5 वर्ष के गोपनीय प्रतिवेदन देखे जाने का प्रावधान है I छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (पदोन्नति) नियम, 2003 में पदोन्नति के लिए 5 वर्ष के गोपनीय प्रतिवेदन देखे जाने का प्रावधान है I इसके अतिरिक्त तृतीय श्रेणी एवं चतुर्थ श्रेणी के कतिपय पदों में सीधी भर्ती के लिए राज्य शासन द्वारा समान पदों के लिए निर्धारित न्यूनतम अर्हता, योग्यता के अनुसार प्रावधान है I छत्तीसगढ़ शासन, उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत विभिन्न राजकीय विश्वविद्यालयों में कर्मचारियों के भर्ती एवं पदोन्नति के लिए भिन्न-भिन्न प्रावधान है, जो कि सामान्य प्रशासन विभाग एवं वित्त विभाग के द्वारा समय-समय पर जारी नियम, आदेश, निर्देश के विपरीत है I छत्तीसगढ़ शासन, उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत विभिन्न राजकीय विश्वविद्यालयों में विभिन्न पदों की स्वीकृति छत्तीसगढ़ शासन, वित्त विभाग की सहमति के अनुसार छत्तीसगढ़ शासन, उच्च शिक्षा विभाग द्वारा दी जाती है, जिसमें वेतनमान एवं पदनाम का स्पष्ट उल्लेख होता है I

9.अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर में रिक्त शैक्षणिक पदों (प्राध्यापक, सह प्राध्यापक एवं सहायक प्राध्यापक) पर भर्ती के लिए जारी किये गये विज्ञापन दिनांक 14.06.2024 में महिलाओं और दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए छत्तीसगढ़ शासन के आरक्षण संबंधी नियम/आदेश के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है I उक्त विज्ञापन एवं शुद्धि पत्र दिनांक 05.07.2024 में किस विभाग/विषय में, किस वर्ग के एवं किस पद संख्या को दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित किया गया है, स्पष्ट नहीं है I विज्ञापित प्राध्यापक, सह प्राध्यापक एवं सहायक प्राध्यापक पदों में महिलाओं के लिए आरक्षण नियमानुसार पर्याप्त पद आरक्षित नहीं किया गया है I
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर में रिक्त शैक्षणिक पदों (प्राध्यापक, सह प्राध्यापक एवं सहायक प्राध्यापक) पर भर्ती के लिए जारी किये गये विज्ञापन दिनांक 14.06.2024 के संबंध में बार-बार शुद्धि पत्र दिनांक 05.07.2024, दिनांक 03.08.2024 एवं 05.09.2024 जारी कर आवेदन करने की अंतिम तिथि में वृद्धि की जा रही है I

10.अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत विभिन्न निजी महाविद्यालयों में प्रारंभ किये गये पाठ्यक्रमों/विषयों के संबद्धता के लिए विश्वविद्यालय के विनियम में उल्लेखित प्रावधान के अनुसार निरीक्षण समिति का गठन करने और निरीक्षण समिति का प्रतिवेदन प्राप्त होने के पूर्व ही प्रारंभ किये गये पाठ्यक्रमों/विषयों में छात्र-छात्राओं के नियमित प्रवेश की अनुमति प्रदान किया गया है और विश्वविद्यालय के पोर्टल में ऑनलाइन पंजीयन एवं आवेदन करने के लिए उन निजी महाविद्यालयों का नाम एवं प्रारंभ किये गये पाठ्यक्रमों/विषयों का नाम एवं सीट संख्या आदि दर्ज कर नियमित प्रवेश की अनुमति प्रदान किया गया है I
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत जिन निजी महाविद्यालयों को प्रारंभ हुए एवं विश्वविद्यालय द्वारा संबद्धता प्रदान किये कम से कम 3 वर्ष नहीं हुआ है और महाविद्यालय में नियमित प्राचार्य एवं प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक नहीं है, छात्र-छात्राओं के लिए पर्याप्त बैठक व्यवस्था, सुविधा, संसाधन नहीं है और पूर्ण गोपनीयता एवं सुचिता के साथ परीक्षा संपन्न करवाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था, सुविधा, संसाधन नहीं है, उन्हें परीक्षा केंद्र निर्धारित किया गया है I महाविद्यालय में जिन पाठ्यक्रमों/विषयों में नियमित प्रवेश की अनुमति नहीं है, उन पाठ्यक्रमों/विषयों में भी परीक्षा संपन्न कराने के लिए परीक्षा केंद्र निर्धारित किया गया है I

11.विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी महाविद्यालयों में परिनियम-28 के अनुसार प्राचार्य, प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक के पदों पर नियुक्ति के लिए कुलपति एवं कुलसचिव सहित अकादमिक विभाग के अधिकारी/कर्मचारी द्वारा राशि लेकर विश्वविद्यालय में इंटरव्यू कराया जाता है, जिसमें अन्य संस्था में कार्यरत शिक्षक को  डमी अभ्यर्थी बुलाकर/व्यवस्था कर इंटरव्यू कराया जाता है और महाविद्यालय जिसे नियुक्त करना चाहता है, उसी अभ्यर्थी का साक्षात्कार सह चयन समिति द्वारा चयन किया जाता है. चयन समिति के सदस्यों को टी.ए./डी.ए. एवं मानदेय के अतिरिक्त राशि का भुगतान किया जाता है. मुख्य रूप से प्रोफ़ेसर बंश गोपाल सिंह (कुलपति, पंडित सुंदर लाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय, बिलासपुर) एवं प्रोफेसर एल.पी. पटेरिया (शहीद नंद कुमार पटेल विश्विद्यालय, रायगढ़), प्रोफ़ेसर एच.एस. होता को ही साक्षात्कार सह चयन समिति में आमंत्रित किया जाता है.

12.विश्वविद्यालय में कुलपति प्रोफेसर ए.डी.एन. वाजपेयी एवं श्री शैलेन्द्र दुबे द्वारा कलेक्टर, बिलासपुर द्वारा निर्धारित दैनिक मजदूरी दर पर दैनिक वेतन कर्मचारी नियुक्त करने/रखने के लिए छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम, 2002 के प्रावधानों के अनुसार मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए निविदा जारी किये बिना और बिना किसी चयन प्रक्रिया का पालन किये दर्जन भर से ज्यादा दैनिक वेतन कर्मचारी के रूप में विज्ञापन जारी किये बिना और आरक्षण नियम का पालन किये बिना अपने परिवार, मित्र, रिश्तेदार, स्थानीय जनप्रतिनिधि, विश्वविद्यालय के अधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी आदि के परिचित को नियुक्त कर/रख कर भुगतान किया जा रहा है I

13.विश्वविद्यालय में कुलपति, कुलसचिव, उप कुलसचिव आदि के लिए वाहन छत्तीसगढ़ शासन, वित्त विभाग द्वारा वाहन आदि क्रय करने के लिए समय-समय पर जारी किये गये एवं वाहन क्रय करने की तिथि में लागू वित्त निर्देश में निर्धारित अधिकतम राशि से अधिक मूल्य का वाहन वित्त विभाग की पूर्व अनुमति के बिना ही क्रय किया गया है. इसकी जिम्मेदारी कुलपति, कुलसचिव एवं वित्त अधिकारी की होती है I
विश्वविद्यालय द्वारा खेल सामग्री क्रय, पुस्तक, सन्दर्भ ग्रंथ, पत्र-पत्रिका आदि, वेबसाइट तैयार कर उसका प्रबंधन करने, फर्नीचर, कम्प्यूटर, प्रिंटर, इलेक्ट्रोनिक सामग्री आदि क्रय करने के लिए छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम, 2002 के प्रावधानों के अनुसार निविदा जारी नहीं किया गया और बिना निविदा के क्रय आदेश जारी कर, सामग्री क्रय कर लाखों-करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया है I

14.प्रोफेसर ए.डी.एन. बाजपेयी (कुलपति), श्री शैलेन्द्र दुबे (उप कुलसचिव), श्री अलेक्जेंडर कुजूर (वित्त अधिकारी)  एवं विश्विद्यालय के वित्त शाखा में कार्यरत अन्य अधिकारी/कर्मचारी द्वारा विभिन्न वित्तीय वर्ष में वार्षिक बजट निर्माण करने के लिए एक माह का अतिरिक्त वेतन या मानदेय राशि का भुगतान प्राप्त किया है, जबकि विश्वविद्यालय के अधिनियम, परिनियम या विनियम में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं है और विश्वविद्यालय में वार्षिक बजट निर्माण करने के लिए एक माह का अतिरिक्त वेतन या मानदेय राशि का भुगतान करने के लिए छ.ग. शासन, उच्च शिक्षा विभाग या वित्त विभाग का आदेश/निर्देश नहीं है.

15.श्री शैलेन्द्र दुबे द्वारा विश्वविद्यालय के वाहन का मुख्यालय के भीतर निजी यात्रा करने में, निजी कार्य से मुख्यालय से बाहर यात्रा करने में और अपने परिजन, रिश्तेदारों के यात्रा में उपयोग किया जाता है. इस दौरान यात्रा में होने वाले ईंधन व्यय आदि का भुगतान ईंधन देयकों को विश्वविद्यालय के कार्य में उपयोग बताकर द्वारा किया जाता है.
विश्वविद्यालय के वाहन का उपयोग ऐसे अधिकारी/कर्मचारी को उनके निवास से विश्वविद्यालय कार्यालय लाने और वापस ले जाने के लिए किया जा रहा है, जिन्हें छ.ग. शासन, वित्त विभाग द्वारा समय-समय पर जारी वित्त निर्देश/आदेश के अनुसार शासकीय वाहन आबंटित करने और उन्हें निवास से कार्यालय लाने और वापस ले जाने के लिए पात्रता ही नहीं है. विश्वविद्यालय में कुछ अधिकारी/कर्मचारी को इस प्रकार का अनुचित लाभ देने के लिए उन्हें छ.ग. शासन, उच्च शिक्षा विभाग से अनुमति प्राप्त किये बिना ही उच्च पद का प्रभार दिया गया है. ऐसे अधिकारी/कर्मचारी मुख्यालय के भीतर निजी यात्रा करने में, निजी कार्य से मुख्यालय से बाहर यात्रा करने में और अपने परिजन, रिश्तेदारों के यात्रा में उपयोग किया जाता है. इस दौरान यात्रा में होने वाले ईंधन व्यय आदि का भुगतान ईंधन देयकों को विश्वविद्यालय के कार्य में उपयोग बताकर द्वारा किया जाता है.
श्री शैलेन्द्र दुबे द्वारा विश्वविद्यालय के कुछ दैनिक वेतन कर्मचारी को अपने निज आवास में कार्य करने जैसे घर में साफ़-सफाई करने, खाना बनाने, बर्तन साफ़ करने, कपडा धोने, निजी वाहन चलाने, सब्जी आदि सामान लेने के लिए बिना पात्रता के रखा गया है. उप कुलसचिव स्तर के अधिकारी को इस तरह से कर्मचारी निजी कार्य के लिए रखने की पात्रता नहीं है.
श्री शैलेन्द्र दुबे द्वारा विश्वविद्यालय में अपने परिवार के, रिश्तेदार, जनप्रतिनिधि, वरिष्ठ अधिकारी आदि के परिचितों को दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के लिए सेटअप में पद स्वीकृति के बिना ही, प्रक्रिया का पालन किये बिना नियम विरुद्ध रखा गया है और प्रतिमाह कलेक्टर, जिला-बिलासपुर द्वारा निर्धारित मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है.
श्री शैलेन्द्र दुबे द्वारा विश्वविद्यालय में कार्यरत कुछ दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी जैसे श्री आशुतोष द्विवेदी को प्रोग्रामर एवं श्री भूपेन्द्र चंद्राकर को कुलपति के निज सहायक जैसे पदों पर लाखों रुपये लेकर नियमित नियुक्ति किया गया है.

इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए त्वरित कार्रवाई करते हुऐ ,
             अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, कोनी, बिलासपुर में नियमित कुलसचिव की तत्काल पदस्थापना करने की मांग करते है और श्री शैलेन्द्र दुबे द्वारा कुलसचिव के पदनाम से किये गये समस्त प्रशासनिक एवं वित्तीय कार्य को अवैध घोषित करते हुए उसे निलंबित कर एवं विभागीय जाँच कर सेवा से बर्खास्त किया जाये.
प्रोफ़ेसर ए.डी.एन. बाजपेयी (कुलपति), श्री शैलेन्द्र दुबे (उप कुलसचिव), श्री एलेक्जेंडर कुजूर (वित्त अधिकारी), डॉ. एच.एस.होता (प्राध्यापक), श्रीमती नेहा यादव (सहायक कुलसचिव), श्रीमती नेहा राठिया (उप कुलसचिव – परिवीक्षाधीन) द्वारा किये गये वित्तीय अनियमितता, भ्रष्टाचार एवं प्रशासनिक कुप्रबंधन की निष्पक्ष एवं विस्तृत जांच कराने की मांग करते है. जाँच पर्यंत संबधितो को निलंबित रखा जावे और मुख्यालय अन्यत्र नियत किया जावे, ताकि जांच एवं साक्ष्यों को प्रभावित न कर सके.
प्रोफ़ेसर ए.डी.एन. बाजपेयी (कुलपति) को छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 की धारा-52 के तहत कुलपति के पद से हटायें/बर्खास्त किया जाये. प्रोफ़ेसर ए.डी.एन. बाजपेयी (कुलपति) को अन्य विश्वविद्यालयों में कुलपति के पद से कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व ही कदाचार, भ्रष्टाचार आदि के कारण हटाया गया है.
  जिस पर तहसीलदार ने उपरोक्त  समस्या को ध्यान में रखते हुए जाँच करने व आवश्यक कार्यवाही हेतु  त्वरित ही आवेदन माननीय राज्यपाल महोदय , माननीय मुख्यमंत्री एवम सचिव उच्च शिक्षा विभाग को प्रेषित करने की बात कही ,
ज्ञापन सौंपते हुए – पुष्पराज साहू, प्रदीप सिंह, करन यादव, सौरभ घृथलहरे, विन्नी विश्वकर्मा, यशोदा वारे, ज्योति मरावी, रितु भास्कर,कल्याणी साहू,उद्रांडी साहू, मीत सोनवानी , सुमित ठाकुर, गौरव सिंह,ओमप्रकाश मानिकपुरी, चंद्रेश बंजारे ,अंशु गोस्वामी, संजय साहू, विक्की बनर्जी, पंकज सोनवानी, सूरज साहू, अंकुश तिवारी, कृष्णा लहरे, हरिशंकर, दिनेश एवम अन्य सैकड़ों की संख्या में छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।