विजय की कलम
बिलासपुर:- लोकतंत्र के चौथे स्तंभ
कहा जाने वाले पत्रकार को सच्च लिखने औऱ निष्पक्ष होने का जो सिला मिल रहा है जिसे समाज के लोग देखकर भी चुप है इसका मतलब फिर उस चौथे स्तंभ को कमजोर किया जा रहा है आजादी की लड़ाई में जिसका, सबसे महत्वपूर्ण योगदान था वह था पत्रकार औऱ अख़बार उस समय ऐसे पत्रकारीता नहीं होती थी टीवी चैनल वाली बल्कि स्याही की जगह खून से लिखे जाती थी खबर और छापे जाते थे. अख़बार
देश को हिलाने के लिए दो पन्ने वाली अख़बार ही काफी था अखबार ने आजादी कि लड़ाई मे मुख्य भूमिका निभाई है औऱ आजादी के बाद अख़बार औऱ पत्रकारिता को भी पूर्ण स्वतंत्रता मिली. आजादी के बाद समय बदला पत्रकार अपनी ईमानदारी से अपनी मेहनत और लगन से आगे बढ़ते गए और देश आजाद होने के बाद भी कई ऐसी घटनाए हुई है
जिसे पत्रकारों ने उजागर किया जिससे जनता के आंदोलन को समर्थन मिला कई सरकारों के भ्रष्टाचार को उजागर किया कई सरकारे गिर गई यहअख़बार की ताकत थी ईमानदार लेखनी औऱ कलम की ताकत थी समय गतिमान है पहले एक ही टीवी चैनल था दूरदर्शन जिसमे सुबह 7:00 बजे दोपहर 2.00बजे और रात्रि 9:00 बजे ही समाचार आते थे बाकी लोग रेडियो में सुनते थे ब्लैक एंड व्हाइट का समय था फिर रंगीन का समय आया और जैसे ही विदेशी कंपनियां के लिए मार्केट खोला गया वैसे ही पत्रकारिता में भी एक नई क्रांति कि शुरूवात हुई कई निजी चैनल चालू हुए और इसी के साथ कई प्राइवेट न्यूज़ चैनल्स पत्रकारिता के क्षेत्र आकर इसका बजारीकरण करना प्रारम्भ हो गया वही चंद अखबार जो इमानदारी के कारण आखरी सांस गिनते गिनते बंद हो गए कुछ ही अखबार बच के रह गए पर जैसे ही मार्केट खुला बड़े-बड़े उद्योगपति इस क्षेत्र में आ गए और अपना एक आधिपत्य जमाना शुरू किया और समय आगे बड़ा,
मोबाइल आया इंटरनेट आया सोशल मीडिया आया तो पत्रकारिता का एक नया युग शुरू हुआ अब हर देश के पत्रकार जो कि सोशल मिडिया से सीधे जुड़े हुए है और आधे से कम इलेक्ट्रॉनिक चैनल में और बाकी बचे कुछ न्यूज़ पेपरो में लेकिन आज पत्रकारिता सिर्फ एक ब्रांड बनकर रह गई है इस भागम भाग दुनिया में और पत्रकारों के भीड़ में आज भी चंद ईमानदार पत्रकार मौजूद है जिनकी ईमानदारी की मिसाल दी जाती है और उन्हें सम्मान भी दिया जाता है क्योंकि उन्होंने अपना मान सम्मान और अपनी कलम का सौदा नहीं किया है और ईमानदारी से कार्य कर रहे हैं ऐसे ईमानदार पत्रकार हर शहर में आपको 2 या,4 या 10 जरूर मिलेंगे.ऐसे ही एक ईमानदार पत्रकार सिंधी समाज का जिसका नाम है विजय दुसेजा जिसने विगत 20 वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करते आ रहें है अपनी मेहनत ईमानदारी और लगन से सेवा कार्य कर रहा है औऱ पत्रकारिता के कार्य में आगे बढ़ रहें है.दिन हो या रात हो धूप हो या छाव हो गर्मी हो या बरसात हो हर मौसम में हर समय में अपने पत्रकारिता ईमानदारी के साथ करतें चले आ रहें, है शहर से लेकर प्रदेश तक प्रदेश एवं दूसरे प्रदेशों तक एवं देश से लेकर पाकिस्तान तक अपने इमानदारी पत्रकारिता का लोहा मनवा चुके हैं अपने इसी इमानदारी पत्रकारिता के बूते 2015 में सिंध यात्रा में भी गए है थे, न्यूज़ कवर करने के लिए वहां पर आई एस आई, के एजेंट ने भी उस पर बहुत प्रेशर डाला परेशान😕 किया लेकिन वह घबराया नहीं डरा नहीं और ईमानदारी से अपने कार्य को पूर्ण किया आज भी इमानदारी से पत्रकारिता कर रहा है पर 2 साल पूर्व समाज के ही कुछ लोगों ने एक तानाशाह के कारण उस पर झूठा आरोप लगाया गया क्योंकि उस ईमानदार पत्रकार ने अपने हीं सिंधी समाज के लिए एक प्रोग्राम आयोजन किया जिसका विरोध शहर के एक बड़े बिल्डर है जो कि अपनी तानाशाही के बल पुरे समाज को जकड़ कर रखा है जिसके गलत रवैये एवं तानाशाह निर्णयो के खिलाफ कोई भी आवाज नहीं उठाता खुद को बिलासपुर का शहंशाह समझता है मैं जो कहूं वह तुमको मानना पड़ेगा
जैसा रवैया रखता इसी तानाशाह का विरोध उस ईमानदार पत्रकार ने किया और अपने समाज के निम्न वर्गों के लिए एक डांडिया कार्यक्रम का आयोजन किया उस आयोजन को फेल करने के लिए तानाशाह ने अपनी पूरीताकत झोकते हुए अपनी टीम को लगा लिया औऱ सारी आजमाइस कर लिया पर आयोजन को विफल नहीं कर पाया और आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गया यह एक दिवसीय निशुल्क आयोजन था जिसमे समाज के गरीब तबके के लोगो के लिए आयोजित किया गया था जिससे तानाशाह को बहुत क्रोध आया औऱ इस आयोजन को अपने अहम् पर ठेस के रूप लीया, ओर सोचने लगा, की
उस पत्रकार ने आखिर निर्धन गरीब लोगो के लिए ऐसा आयोजन बिना मेरी सहमति के करके दिखाया कैसे जिसे आजतक हमने किसी को करने नहीं दिया,
सोचा उस एक साधारण पत्रकार कैसे कर गया.
आज जब यह कर सकता है तो कल 10 और खड़े हो सकते हैं फिर हमारी समाज मे रसूख कम हो जाएगी ज़ब गरीब निर्धन लोगो का समर्थन मिलेगा तो हमारी कुर्सी खतरे में पड़ सकती है ऐसा विचार रखते हुए इस पत्रकार कि बख्त यहीं खत्म कर दिया जाए. उसी दिन से तानाशाह ने बिना कलम चलाए एक कलम वीर को समाज से बहिष्कार करने आदेश जारी किया जिसे समाज के कुबेरो ने सहर्ष स्वीकार कर लिया अब उस पत्रकार को कोई भी कार्यक्रम में नहीं बुलाए ओर
इसको विज्ञापन भी मत दो औऱ खबर प्रकाशन करने से विज्ञापन लगाने से पत्रकार कि रोजी रोटी चलती थी उस रोजी रोटी🍞 को छीन लिया गया अब उसके अखबार को विज्ञापन इस्तिहार नहीं दिया जाता है, औऱ न ही कोई भी उसे किसी प्रकार का सहयोग करता सभी ने तानाशाह कि जी हजूरी की और हां में हां मिलाई और आज भी वह ईसी काम में लगे हैं वक्त गुजरता रहा है ,अब उस पत्रकार ने समय पर छोड़ दिया है. ईमानदारी से पत्रकारिता करते आगे बढ़ रहे है प्रेम से बुलाने पर वह एक शहर से दूसरे शहर चला जाता है या बुलाते थे तो काम करता था समय बितता गया पर तानाशाह का ख्वाब उस पत्रकार को खत्म करने की चाहत धरी के धरी रह गयी

(कहते है जो अपने कर्म के बल पर जीते है उसे किसी कि रहम कि जरूरत नहीं. )
तानाशाह ने देखा कि इसकी पत्रकारिता बंद नहीं हो रहीं है तो अब झूठे केस में फ़साने कि कोशिस कर परेशान किया जा रहा है औऱ मानसिक उत्पीड़न कर रहा है जिसके लिए उन्होंने सारे हतकंडे अपनाया कई कार्यक्रमों में उसकी एंट्री बंद करवाई उसे धक्के देकर बाहर निकलवा दिया गया लेकिन समाज के किसी भी जिम्मेदार 👤व्यक्ति ने पूछा नहीं औऱ नाही इसका विरोध किया ,
कि यह गलत हो रहा है यह नहीं करना चाहिए यहाँ तक समाज के संत महात्मा जनप्रतिनिधि नेता अभिनेता किसी ने भी इस तानाशाही का विरोध नहीं जताया, ओर नाही कोई व्यक्ति विशेष ने
सवाल नहीं पूछा कि आप ऐसा क्यों कर रहे हो उस व्यक्ति👤 कि गलती क्या है कि वह ईमानदार है और उसने समाज का हित सोचा और समाज के हीत लिए कार्यक्रम किया समाज के कार्य किया क्या यही उसकी गलती है सब लोग पैसे के आगे शांत हो गए 2 बरस बीत गए उसने बहुत कोशिश की लेकिन झुका नहीं पाया और उसके अखबार को बंद नहीं करवा पाया आखिर में उसने झूठा मानहानि का केस दायर किया साथ में उसके एक चैले ने भी कैस किया नोटिस के ऊपर नोटिस भेजा गया ताकि अब दबाव में आकर वह रुक जाएगा पांव में गिर जाएगा गिर गिड़गिड़ा कर माफी मांगेगा और हमारा गुलाम बंन कर रहेगा पर अभी भी ऐसा कुछ नहीं हुआ आज भी वह लड़ रहा है सिस्टम से भी और समाज के ऐसे तानाशाह लोगों से भी जो अपना एक आधिपत्य बना के रखना चाहते हैं गरीबों को जरूरतमंद लोगों को अपने जूते के नीचे दबाना चाहते हैं और उसका फायदा उठाना चाहते हैं आज भी वह ईमानदार पत्रकार लड़ रहा है 👨अकेला😔😢 है फिर भी वह खड़ा है लड़ रहा है हाल ही में कुछ पत्रकारों पर घटनाएं गटी बिलासपुर में रायपुर में भी उसके लिए, काफी विरोध उठा और मजबूत पत्रकार कानून की मांग उठी थी, अच्छी बात है होना भी चाहिए पर अपने समाज में ही और समाज के एक बड़े बिल्डर और तानाशाह के द्वारा समाज के पत्रकार पर जिस तरह विगत 2 सालों से अत्याचार किया जा रहा है उसके लिए किसने भी कुछ नहीं कहा दुख की सबसे बड़ी बात यह है कि अपने ही समाज के बिरादरी के पत्रकार भी शांत हैं वह भी कुछ नहीं कह रहे हैं? पर फिर भी हम लड़ रहे हैं और जब तक जिंदा है लड़ते रहेंगे सत्य के लिए धर्म के लिए और ईमानदारी से कार्य करते रहेंगे जितनी और कोशिश करनी है कर ले तू हमें मार सकता है लेकिन झुका नहीं सकता है,
जब तक जिंदा है विजय की कलम चलती रहेगी,
सत्य के लिए न्याय के लिए धर्म के लिए ,ओर उन लोगों के लिए लिखती रहेगी और कार्य करती रहेगी अगर यह पढ़ने के बाद कुछ लोगो का जमीर जिंदा हो जाए और कुछ इंसानियत और ईमानदारी बच्ची हो तो सत्य का साथ दीजिए धर्म का साथ दीजिए न्याय का साथ दीजिए और तानाशाह का विरोध कीजिए


एक पत्रकार तो अपना कार्य कर रहा है पर बाकी आप लोग भी अपना कार्य करें वरना वह तो सत्य के लिए शहीद हो जाएगा पर वह हिम्मत आप लोगों में नहीं है कि आप लोगों को गुलामी करने की आदत पड़ गई है इस गुलामी की जंजीरों को तोड़ो और आगे बढ़ो वरना यही हालत आपके आने वाले पीढ़ी की भी होगी फैसला आपके हाथ हम सदा हैं धर्म के साथ सत्य के साथ न्याय के साथ (संपादकीय)