नई दिल्ली (अखंड सत्ता)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि जहाँ लंबा भाषण सुनकर समझ विकसित नहीं होती, वहीं एक सुभाषित से बात तुरंत स्पष्ट हो जाती है। यह विचार उन्होंने संस्कृतभारती के कार्यकर्ताओं से व्यक्त किया, जब उन्हें ‘मन की बात’ और संसद में दिए गए भाषणों के सुभाषितों का संकलित पुस्तक रूप में समर्पित किया गया।
संस्कृतभारती (विदर्भ) न्यास द्वारा प्रकाशित पुस्तक का नाम “उद्गारा:” है। इसे संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी और मराठी में अनुवाद के साथ प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक में सुभाषितों का पदच्छेद, अन्वय, स्रोत और प्रधानमंत्री मोदी के संदर्भित वाक्य भी शामिल हैं। इसके अलावा, लेखिकाओं वैखरी कुलकर्णी (सेनाड) और रञ्जना फडणीस ने प्रत्येक सुभाषित पर टिप्पणियां देते हुए अतिरिक्त जानकारी प्रदान की है। पुस्तक का आकर्षण सौ से अधिक रंगीन चित्रों द्वारा सुभाषितों के अर्थ को अधिक स्पष्ट करना भी है।
संस्कृतभारती के पदाधिकारी और संकलनकर्त्रियां प्रधानमंत्री जी को पुस्तक समर्पित करने के लिए दिल्ली पहुँचीं। इस अवसर पर अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख श्रीश देवपुजारी सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्हें सुभाषितों का उपयोग करने की प्रेरणा प.पू. सरसंघचालक बालासाहब देवरस से मिली। उन्होंने सुभाषितों के माध्यम से विषयों को सरलता से समझाने का महत्व बताया और संस्कृत को सामान्य जनता तक पहुँचाने के प्रयासों की सराहना की।
पुस्तक भेंट समारोह में सौ. वैखरी कुलकर्णी, सौ. रञ्जना फडणीस, सौ. वन्दना देशपांडे, कुमारी श्रीया कुलकर्णी, श्रीश देवपुजारी, मकरंद कुलकर्णी, अभिजीत टेणी, श्रीनिवास वर्णेकर, दिलीप सेनाड, प्रमोद देशपांडे उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने उपस्थित सभी से संवाद किया और संदेश दिया – “जिज्ञासा के कारण कृति होती है। इसलिए जिज्ञासा जागृत हो।”
प्रधानमंत्री ने नोव्हेंबर माह में कोईम्बतूर में आयोजित संस्कृतभारती के अखिल भारतीय सम्मेलन के लिए शुभकामनाएं दी। सम्मेलन में पुस्तक का लोकार्पण और बिक्री आरंभ होगी।