‘समय की पुकार’ पर राजयोगी ब्रह्माकुमार रूपेश भाई जी का प्रेरक प्रवचन
योग साधना और ज्ञान सत्र में मिली आत्मिक जागृति की अनुभूति
राज किशोर नगर, बिलासपुर, 30 अक्तूबर 2025।
मधुबन माउंट आबू की पावन धरा से पधारे राजयोगी ब्रह्माकुमार रूपेश भाई का बिलासपुर में हार्दिक स्वागत किया गया। राज किशोर नगर स्थित ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र में आयोजित विशेष आध्यात्मिक सत्र में उन्होंने ‘समय की पुकार’ विषय पर गहन एवं प्रेरणादायक संदेश दिया।
कार्यक्रम का आयोजन एक *योग साधना और ज्ञान मंथन के रूप में किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भाई-बहनों ने भाग लिया। उद्देश्य था— जीवन में तीव्रता लाना और आत्मिक शक्ति का अनुभव करना।
गहरी योग अनुभूति से आरंभ हुआ सत्र
सत्र की शुरुआत आधे घंटे की गहन योग अनुभूति से हुई। रूपेश भाई जी ने उपस्थित साधकों को ‘थ्री एस ड्रिल’ (सोल, सुप्रीम सोल, सकाश) के माध्यम से ध्यान का अभ्यास कराया।
उन्होंने कहा, “आत्मा को परमधाम में शांति और पवित्रता की किरणों से भरकर संपूर्ण विश्व को प्रकम्पन्न देना ही सच्चा राजयोग है।”
केंद्र की संचालिका मंजू दीदी ने भ्राता रूपेश भाई जी का स्वागत करते हुए भावनापूर्ण शब्दों में कहा —
“यह हॉल और इसकी हर ईंट भ्राता जी को बुला रही थी, आपने आकर यहाँ खुशियाँ बिखेर दी हैं।”
उन्होंने केंद्र के विकास के शुरुआती दिनों से लेकर आज तक की प्रेरणादायक यात्रा भी साझा की।


‘समय की पुकार’ के आठ महत्वपूर्ण संदेश*
मुख्य प्रवचन में रूपेश भाई जी ने कहा कि वर्तमान संगम युग का हर सेकंड अनमोल है।
परमात्मा शिवबाबा ने इसे “एक जन्म के समान” बताया है, जिसमें पूरे जीवन की कमाई संभव है।
उन्होंने समय की आठ पुकारों पर विशेष रूप से प्रकाश डाला:
हो जाओ तैयार* – यह समय फाइनल पेपर के लिए ‘एवर रेडी’ बनने का है।
मत करो इंतजार* – परिस्थितियों या व्यक्तियों के बदलने की प्रतीक्षा न करें।
बंद करो माया के द्वार* – ‘मैं’ और ‘मेरापन’ से मुक्त होकर व्यर्थ देखना-सुनना त्यागें।
लगाओ अपनी दरबार– प्रतिदिन स्वराज्य अधिकारी बनें और अपनी इंद्रियों को श्रीमत अनुसार संचालित करें। विशेष कर आंख और कान पर ध्यान रखना है क्योंकि यहीं से व्यर्थ की चीजें मन में प्रवेश करती हैं।
कर लो अपना श्रृंगार* – ज्ञान, गुण और शक्तियों से आत्मा का श्रृंगार करें।
कर लो एक से प्यार* – ईश्वर से सच्चा प्रेम ही सर्व खजानों की चाबी है।
हो जाओ बलिहार* – मन से पूर्ण समर्पणता ही ईश्वर को बाँधने की शक्ति है।
सुनो चित्कार* – दुखी, अशान्त व परेशान आत्माओं की पुकार सुनकर उन्हें सुख, शांति व प्यार के प्रकम्पन्न देना ही सच्ची सेवा है।
सभी ने शांति और अनुशासन के साथ रुपेश भाई से दृष्टि लेते हुए भोग व वरदान प्राप्त किया।