**एक शादी, कई सवाल ओर जवाब कोन देगा?
विशाखापट्टनम/रायपुर
छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत के प्रदेश अध्यक्ष महेश दरयानी के पारिवारिक विवाह समारोह से जुड़ा एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है। वीडियो में समारोह के दौरान डांस और पार्टी का माहौल दिख रहा है, जिसमें संगठन से जुड़े कुछ प्रमुख पदाधिकारी भी नजर आ रहे हैं। इस वीडियो ने पूरे सिंधी समाज में एक नई बहस को जन्म दे दिया है।

जब नियम बनाए गए थे…
कुछ वर्ष पूर्व सिंधी पंचायत द्वारा समाज में बढ़ती किटी पार्टी, पूल पार्टी और कथित ‘अमर्यादित आयोजनों’ के खिलाफ बाकायदा अभियान चलाया गया था। उस समय मंच से यह संदेश दिया गया था कि समाज की मर्यादा, संस्कार और अनुशासन सर्वोपरि हैं।
अब सवाल ये है…
अब जब उसी संगठन के शीर्ष पदाधिकारी एक ऐसे समारोह से जुड़े दिखाई दे रहे हैं, जिसे समाज का एक वर्ग उन्हीं मानकों के विपरीत बता रहा है, तो सवाल उठना लाज़मी हो गया है—
क्या नियम केवल आम समाजजनों के लिए थे?
क्या पद पर बैठे लोगों के लिए अलग मापदंड हैं?
क्या समाज के अन्य लोग अब खुले तौर पर ऐसे आयोजनों को सही ठहराएंगे?
समाज में गहरी नाराजगी
समाज के कई लोगों का कहना है कि यदि शीर्ष नेतृत्व से ही ऐसा संदेश जाएगा, तो आने वाली पीढ़ियों को अनुशासन और मर्यादा का पाठ कौन पढ़ाएगा। उनका यह भी आरोप है कि इससे पहले ऐसे आयोजनों पर रोक का जो नैतिक आधार बनाया गया था, वह अब कमजोर पड़ता दिख रहा है।

पद की गरिमा पर सवाल
एक वर्ग यह भी कहता है कि प्रदेश अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति से समाज अपेक्षा करता है कि वह निजी कार्यक्रमों में भी सार्वजनिक मर्यादा का ध्यान रखे, क्योंकि उसका हर कार्य समाज के लिए एक उदाहरण बनता है।
प्रशासनिक या संगठनात्मक प्रतिक्रिया अब तक नहीं
इस पूरे मामले में अब तक न तो छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत की ओर से और न ही संबंधित पदाधिकारियों की ओर से कोई स्पष्ट आधिकारिक बयान सामने आया है। हालांकि सूत्रों के अनुसार संगठन के भीतर इस विषय को लेकर आंतरिक स्तर पर चर्चा चल रही है।

वरिष्ठजन क्या कहते हैं?
समाज के कुछ वरिष्ठजनों का मानना है कि किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले दोनों पक्षों की बात सुनी जानी चाहिए और पूरे तथ्यों की निष्पक्ष समीक्षा होनी चाहिए, ताकि समाज में और अधिक विभाजन न बढ़े।
निष्कर्ष
यह मामला अब केवल एक व्यक्तिगत समारोह तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह नेतृत्व की विश्वसनीयता, नैतिकता और दोहरे मापदंडों पर बड़ा सवाल बन चुका है। अब सबकी नजरें सिंधी पंचायत की आधिकारिक प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई पर टिकी हैं।