बिलासपुर। न्यायधानी के प्रेस क्लब चुनाव का बिगुल फुकते ही पत्रकारों के बीच सियासी पारा चढ़ गया है। राघवेंद्र राव सभा भवन में शनिवार को सुबह से ही ऐसी गहमागहमी रही जैसे कोई विधानसभा का चुनाव हो। मजे की बात यह है कि दो बार प्रेस क्लब में पदाधिकारी रहकर भी कुछ लोगों की पद की भूख शांत नहीं हुई। हाईकोर्ट के आदेश पर पद से हटाए जाने वाले फिर से मैदान में ताल ठोकने पहुंच गए। हालांकि प्रशासन ने प्रेस क्लब के संविधान के नियमों के तहत सख्ती दिखाई, और नियमों के पेंच में फंसे कमलेश शर्मा का नामांकन खारिज कर दिया। अब अध्यक्ष से लेकर कार्यकारिणी सदस्य के पदों के लिए कुल 19 प्रत्याशी चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाएंगे।
नामांकन में दिखा उत्साह और नाम वापसी का खेल
चुनावी कार्यक्रम के मुताबिक सुबह से ही नामांकन पत्रों की बिक्री शुरू हुई जो दोपहर तक चली। चुनाव अधिकारी ज्ञान साहू ने बताया कि शुरुआत में कुल 26 उत्साही लोगों ने पर्चे भरे थे। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता और चुनावी समीकरण बिगड़ने लगे तो 6 लोगों ने चुपचाप अपने नाम वापस ले लिए। अधिकारियों की जांच में कमलेश शर्मा का नामांकन पत्र नियमों पर खरा नहीं उतरा जिसके चलते उसे निरस्त कर दिया गया है। अब मैदान पूरी तरह साफ है और असली मुकाबला इन्हीं 19 चेहरों के बीच होगा।
कुर्सी के लिए खींचतान और दिग्गजों की साख दांव पर
प्रेस क्लब की कुर्सी का जादू ही कुछ ऐसा है कि हर कोई इसके करीब रहना चाहता है। इस बार अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष और सहसचिव जैसे अहम पदों के लिए कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। कुछ पुराने चेहरे फिर से अपनी धक जमाने की कोशिश में हैं तो कुछ नए लोग बदलाव का नारा बुलंद कर रहे हैं। चर्चा तो यह भी है कि इस बार चुनाव में मुद्दे कम और व्यक्तिगत प्रतिष्ठा की लड़ाई ज्यादा नजर आ रही है।
प्रेस क्लब चुनाव का पूरा लेखा जोखा
कुल दाखिल नामांकन 26
नाम वापस लेने वाले 06
निरस्त किया गया नामांकन 01 (कमलेश शर्मा)
मैदान में बचे कुल प्रत्याशी 19
मतदान की तारीख 28 दिसंबर
चुनाव अधिकारी ज्ञान साहू ने बताया कि प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ की जा रही जोड़े गए गलत 130 लोगों के नाम काट दिए गए हैं और अंतिम सूची जारी कर दी गई है। अब सारा दारोमदार 28 दिसंबर को होने वाले मतदान पर है। प्रेस क्लब के गलियारों में चर्चा है कि इस बार ऊंट किस करवट बैठेगा। क्या पुराने धुरंधर फिर बाजी मारेंगे या नई टीम को काम करने का मौका मिलेगा। शहर के पत्रकार अब गुटबाजी और समीकरणों को बिठाने में जुट गए हैं ताकि अपने पसंदीदा उम्मीदवार को जीत दिला सकें।
टेंशन में तत्कालीन प्रेस क्लब टीम
प्रेस क्लब चुनाव को निरस्त किए जाने के बाद पूर्व अध्यक्ष दिलीप यादव की टीम ने भारी मशक्कत की तीन बार हाई कोर्ट में मामला भी लगाया मगर हर बार मुंह की खाना पड़ा अब सभी रास्ते बंद हो जाने के बाद पुरानी टीम ने भी अपना नामांकन दाखिल किया है और दावा ठोका है कि इस बार पत्रकारों के हित में काम करेंगे मगर पुराने खुलासों के बाद अब पत्रकारों के बीच चर्चाओं का बाजार गर्म है इस बार यह टीम बैक फुट पर नजर आ रही है सोशल मीडिया पर पैसों के लेनदेन की एक रसीद भी वायरल हो रही है जिसकी चर्चा हर पत्रकार तक पहुंच चुकी है जिसमें लेनदेन को लेकर एक व्यक्ति पर गंभीर आरोप लगे हैं बताया जा रहा है कि उस रसीद में जो लिखा है उस पैसे को अब तक जमा नहीं किया गया है।