सिन्धी समाज को टिकट मिलना मुश्किल, भाजपा के सर्वे के आधार पर भेजे गये नामों में से कोई नहीं।

रायपुर : आवेदन के बजाय दावेदारी का पैमाना इस बार भाजपा की तरफ से बदल दिया गया है, दावेदारों के नाम में से कोई भी व्यक्ति भाजपा कि नीतियों पर सिन्धी समाज से आवश्यक योग्यता के मापदंडों को पूरा नहीं कर रहा है, तो इस बार किसी को भी टिकट मिलना मुश्किल है, पिछले चुनावों में मिली करारी हार के बाद भाजपा टिकट बांटने का फार्मूला बदल गया है, पुराने मजबूत नेताओं की टिकट काटने की भी पूरी सम्भावना है। अब खबर है कि इस माह जल्द ही भाजपा की दूसरी सूची भी जारी कर दी जायेगी, इसमें किसी भी सिन्धी समाज के दावेदारों का नाम आना मुश्किल हो गया है।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार रायपुर उत्तर विधानसभा में पार्टी सिंधी समाज के सदस्य को टिकट देने के मूड में बिलकुल नहीं दिख रही है। फिर भी इसके लिए कई नाम आगे चल रहे हैं। आइये इनका विश्लेषण करते है चैंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष अमर पारवानी का नाम प्रमुख है, जबकि वे भाजपा से चुनाव नहीं लड़ना चाहते है, फिर भी उनके चाहने वाले उनके नाम की चर्चा करते है। लिहाजा हारे हुये पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी फिर से कतार में हैं, लेकिन पिछली हार के कारण इनकी टिकट कटना भी लगभग तय है, ये फिर भी टिकट की जुगत में पिछले चैम्बर चुनाव से लगे हुये है। इनके साथ ही भाजपा के मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी और ललित जयसिंह भी सक्रिय हैं, इनको भी पार्टी के स्तर पर और मानदंडों पर टिकट मिलना मुश्किल ही है। बावजूद इनके जो सबसे मजबूत नाम सिंधी समाज की तरफ से चर्चा में है, वो शदाणी दरबार के प्रमुख युधिष्ठिर लाल के बेटे उदय शदाणी का है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, उदय शादाणी चुनाव लड़ते हैं, तो सिंधी समाज एक होकर चुनाव लड़ेगा, नहीं तो वोट बंटेंगे, लेकिन दूसरी तरफ उदय शदाणी गैर राजनैतिक चेहरा है, इसलिये इनको भी टिकट मिलना काफी हद तक मुश्किल ही है, उत्तर विधानसभा में सिंधी समाज की दावेदारी को दरकिनार करने के बाद हुए संजय श्रीवास्तव मुख्य प्रत्याशी बन गये है, और राजीव अग्रवाल ग्रामीण की तरफ मजबूत हो गये हैं। हालांकि यहां अमित साहू का नाम पहले से ही चर्चा में है, लेकिन संजय श्रीवास्तव और अमित साहू के नाम उत्तर विधानसभा से भेजे जाने की जानकारी मिली है।

बिलासपुर से अमर अग्रवाल सबसे प्रबल दावेदार हैं, जबकि ये भी बिलासपुर से मजबूत दावेदार नहीं है। 15 साल के मंत्री और 20 साल के विधायक रहे है। कहा जा रहा है कि पार्टी ने उन्हें दो विकल्प दिए हैं कोटा और बिलासपुर दोनों जगह में से। लेकिन ये भी रायपुर उत्तर के समीकरण पर निर्भर करता है। दरअसल, बिलासपुर से डॉ. ललित माखीजा भी सशक्त दावेदार हैं, जो सिंधी समाज से आते हैं, ऐसी स्थिति में रायपुर उत्तर से सिन्धी समाज की टिकट कट सकती है। पार्टी का मानना है कि फिलहाल एक कैंडिडेट सिंधी समाज से देना ही है। लेकिन वास्तविकता की जमीनी हकीकत है कि डॉ. ललित माखीजा भी इन मानदंडों को पूरा नहीं करते है, इसलिये कुल मिलाकर इस बार छत्तीसगढ़ में भाजपा से सिन्धी समाज की दावेदारी दरकिनार हो जायेगी।

सर्वे में भेजी गई दावेदारी की सूची में नहीं है कोई नाम :

भाजपा की दूसरी सूची जारी होने में अब कुछ ही समय बाकी है , 150 लोगों ने भाजपा के केन्द्रीय आदेश पर जो सर्वे किया है, उसमें किसी भी सिन्धी प्रत्याशी का नाम नहीं भेजा गया है, यह जानकारी पार्टी सूत्रों से प्राप्त हुई है।