श्रद्धेय जयरामदास कोटवानी जी की पुण्यतिथि दिवस पर सिंधी समाज अर्पित की भावभीनी श्रद्धाजंलि

लेखराज मोटवानी/रीवा (म.प्र.) : सिंधी समाज रीवा के आधार स्तम्भ रहे स्व.श्री जयराम दास कोटवानी जी की पूण्यतिथि दिवस पर आज पूरे समाज ने उनके योगदानों को याद कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। समाज द्वारा सामाजिक और धार्मिक कार्यों में उनके अविस्मरणीय योगदान की चर्चा करते हुए बतायव कि भारत-पाकिस्तान विभाजन की विभीषिका झेल रहे समाज के सामने अनेक कठिनाइयां खड़ी थी, भाषा की समस्या
रोजी-रोटी की समस्या। ऐसे में जब हर व्यक्ति सिर्फ और सिर्फ अपने लिए अपने परिवार के लिए सोच रहा था,उस वक़्त आदरणीय जयरामदास कोटवानी “काका जी” ने एक विचार को लेकर कार्य प्रारंभ किया कि समाज में निराश्रित परिवारों को अन्य जगह कही हाथ न फैलाना पड़े। उसके लिए उन्होंने समाज सेवी “संस्था सिंध सेवा मंडल” की स्थापना की जिसके द्वारा निराश्रित परिवारों को जीवन यापन करने के लिए दैनिक उपयोग की वस्तुएं मासिक राशन, तेल, साबुन चाय,दवाये एवं नगद राशि उपलब्ध करवाई।

गरीब निराश्रित महिलाओ को स्वावलंबी बनाने के लिए ‘सिलाई मशीन’ उपलब्ध करवाना। स्वेटर बनाने, कढ़ाई करने का प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था कराने का प्रयास किया।
शिक्षा के क्षेत्र में हमारे बच्चों का भविष्य संवारने हेतु सिंधु विद्या मंदिर के नाम से विद्यालय की भी स्थापना की। जिसमे बच्चों को निःशुल्क शिक्षा व पठन-पाठन सामग्री भी उपलब्ध करवाई।
गरीब परिवार की बच्चियों को शादी में भी यथा संभव सहयोग की व्यवथा करवाई।
संस्था का अध्यक्ष रहते हुए ‘काका जी’ ने समाज सेवा के अनेकों कार्य निरंतर लगभग 60 वर्षो तक सेवा भावना से सफलतापूर्वक संचालित किए।
उन्ही की सोच का परिणाम है कि अनेक प्रकार कुरीतियो को समाप्त कर समाज आज मुख्य धारा से जुड़ा है एवं सिंधु समाज रीवा में समाज सेवा द्वारा अनेक प्रकार के आयाम स्थापित कर सेवा के क्षेत्र में प्रथम पंक्ति में खड़ा है।

काका जी की सदैव सोच रही कि समाज एक जुट रहे एकता में शक्ति होती है ऒर उसी विचार को समाज आज भी आत्मसात किये हुए है
ब्रम्हलीन होने के एक दिन पूर्व “काका जी” ने हॉस्पिटल में समाज का नेतृत्व करने एवं समाज में एकता कायम रखने एवं
शानदार “सिंधु भवन” का निर्माण कार्य की बात कही
जिसका सरदार प्रह्लाद सिंह जी ने संकल्प ले लिया।
“काका जी” की उस दूरदर्शी सोच का नतीजा हैं कि आज रीवा का सिंधु भवन समाज सेवा के क्षेत्र में रीवा ही नही, अपितु सम्पूर्ण प्रदेश में अपने नाम का परचम लहरा रहा है।
सिंधु समाज द्वारा उनके नाम को अमर रखने हेतु
सिंधु भवन का मुख्य हाल श्री जयराम दास कोटवानी स्मृति हॉल के नाम से नामकरण किया गया है।
जो उनके द्वारा सामाजिक कल्याण के लिए किए गए कार्यो को सच्ची श्रद्धांजलि है।
विश्व विख्यात सन्त स्वामी हंसदास जी ने अपने बाल्यकाल में उनकी स्मृतियों की चर्चा करते हुए बताया कि स्व. दादा जयराम दास जी न सिर्फ सामाजिक बल्कि धार्मिक कार्यो में बहुत रुचि रखते थे। उन्होंने रीवा नगर में अपने निवास के पास पूज्य माता सरूप मन्दिर की स्थापना की। और नित्य-निरन्तर भजन-कीर्तन, आरती पूजन के अलावा सभी सनातनी त्योहार मनाने की परंपरा की नींव रखी। जो वर्तमान में उनके पूरे कोटवानी परिवार और भक्त मण्डल द्वारा निरन्तर जारी रखे हुए है।
इसके अलावा आप रीवा के सभी धर्म स्थानों में होने वाले उत्सवों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते थे। और महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते थे। हमारे पूज्य गुरुदेव श्री स्वामी सन्तदास साहिब जी; उनसे मित्रवत सम्बन्ध रखते थे। और मित्र की तरह ही कंधे से कंधा मिलाकर हर कार्य को सम्पन्न करते थे। पूज्य गुरु देव जी का शुभाशीर्वाद उनके परिवार पर सदैव था और सदैव ही रहेगा।
आज उनके पूण्यतिथि दिवस पर पूरा सिंन्धु समाज उनके समृद्धशाली व्यक्तित्व को नमन करता है। आपका स्नेह, आपके संस्कार, आपका सामाजिक और धार्मिक योगदान और आपका मार्गदर्शन आज भी हमारे जीवन का आधार हैं।
“काका जी”